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बांदा में जन्माष्टमी की खुशियों पर प्राइवेट स्कूलों की मनमानी का ग्रहण, सरकारी छुट्टी के बावजूद खोले स्कूल

प्रतिकात्मक फोटो।

समरनीति न्यूज, बांदाः शिक्षा का व्यवसाईकरण इस कदर हावी हो चुका है कि प्राइवेट स्कूलों की मनमानी, अब दुस्साहस बनकर प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधकों के सिर चढ़कर बोल रही है। गर्मियों की छुट्टियों की भी फीस वसूली का पाप करने वाले प्राइवेट स्कूल मनमाने ढंग से जबतब फीस बढ़ाते रहते हैं, यह अलग बात है। अब यही स्कूल खुलेआम सरकारी आदेशों को ठेंगा भी दिखाने लगे हैं। इसका उदाहरण शुक्रवार को जन्माष्टमी के त्योहार के मौके पर देखने को मिला। बचपन से हम सभी जन्माष्टमी की खुशियां घर में बड़े शौक से मनाते आए हैं, दिन में व्रत और शाम होते ही रात 12 बजे का इंतजार। यही बचपन की खुशियां होती हैं, लेकिन बांदा मंडल मुख्यालय पर इस बार जन्माष्टमी पर स्कूल खोले गए।

पहले भी तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाते रहे हैं प्राइवेट स्कूल  

खुद की सुविधाओं को देखते हुए स्कूल प्रबंधकों ने बच्चों की खुशियों और अभिभावकों की जिम्मेदारियों को ताक पर रखा ही, साथ ही सरकार को भी ठेंगा दिखा दिया। जन्माष्टमी की छुट्टी प्राइवेट स्कूलों ने मनमाने ढंग से एक दिन बाद यानी शनिवार को रखी है। एक दो स्कूल बंद रहे, लेकिन बाकी सभी प्राइवेट स्कूल खुले रहे। हालांकि सरकारी स्कूल-बैंक और दूसरे सरकारी प्रतिष्ठान जन्माष्टमी की छुट्टी होने के कारण शुक्रवार बंद रहे।

बुझे मन से बच्चों को स्कूल छोड़कर आए अभिभावक परेशान  

स्कूलों के इस मनमाने रवैये को लेकर बड़ी संख्या में अभिभावक परेशान रहे, लेकिन बुझे मन से बच्चों को स्कूल छोड़कर आए। एक अभिभावक का कहना है कि आज यही संशय रहा कि सब जगह छुट्टी है तो यहां भी होगी, लेकिन बच्चे ने बताया कि मैम ने कहा है कि जन्माष्टमी की छुट्टी सरकारी कलेंडर से नहीं, बल्कि शनिवार को होगी। बताते चलें कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब बांदा में प्राइवेट स्कूल अपनी मनमानी कर रहे हों, बल्कि इससे पहले भी भारी बरसात और भीषण तपती जून की गर्मी में स्कूलों को मनमाने ढंग से खोला गया था।

पहले भी जिलाधिकारी की सख्ती के बाद सुधरे थे कई प्राइवेट स्कूल  

बाद में जिलाधिकारी हीरालाल ने सख्त आदेश देकर स्कूलों को बंद कराया था। इसके बाद भी स्कूलों का प्रबंधन तंत्र सुधरने को तैयार नहीं है। प्राइवेट स्कूलों के इस दुस्साहस की बड़ी वजह यह भी है कि समय रहते इन स्कूलों पर कार्रवाई नहीं होती है। उधर, जब जिला विद्यालय निरीक्षक से बात करने का प्रयास किया गया, तो उनसे संपर्क नहीं हो सका।

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