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संदेह के घेरे में हैलट को ऑक्सीजन सप्लाई देने वाली कंपनियां, प्रशासन कराएगा ऑडिट

समरनीति न्यूज, कानपुरः कानपुर मेडिकल कॉलेज से जुड़ी एक खास और बड़ी खबर सामने आई है। पता चला हैं कि यहां ऑक्‍सीजन सप्लाई करने वाली कंपनियां अब संदेह के घेरे में हैं। ऐसे में अब तक इन्होंने जितनी ऑक्सीजन भी सप्लाई की है। हैलट प्रशासन उसका ऑडिट कराने की तैयारी में जुट गया है। बता दें कि हर साल मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल ऑक्सीजन सप्लाई के नाम पर एक करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च करते हैं लेकिन अब आरोप है कि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनियां खपत से ज्यादा सप्लाई दिखा कर पैसा वसूल कर रही हैं।

बिल बनाने में किया जाता गड़बड़झाला  

बताते चलें कि हैलट व संबद्ध अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई का ठेका पनकी ऑक्सीजन व मुरारी इंडस्ट्रीयल गैसेस के पास है। ऑक्सीजन प्लांटों में बड़े सिलेंडरों के साथ ही मरीजों के लिए छोटे सिलेंडरों की सप्लाई होती है। अभी हैलट व किसी भी संबद्ध अस्पताल में किस सिलेंडर में कितनी ऑक्सीजन है यह चेक करने का कोई आधार नहीं है।

बारीकि से हुई खपत को लेकर चेकिंग  

बीते कुछ महीनों में हैलट प्रशासन की तरफ से ऑक्सीजन की खपत को काफी बारीकि से चेक किया गया। उसके एवज में जो सप्लाई के बिल मिले वह शुरुआती जांच में काफी ज्यादा थे। ऐसे में अब हैलट प्रशासन ने बिल चुकाने से पहले ऑक्सीजन सप्लाई का थर्ड-पार्टी से ऑडिट कराने का फैसला किया है जिससे असल खपत व बिल के अंतर को समझा जा सके।

यहां-यहां होती है ऑक्सीजन सप्लाई  

बताया गया है कि अस्‍पतालों के इमरजेंसी, आईसीयू, मेडिसिन ऑक्सीजन प्लांट, एनआईसीयू, पीडियाट्रिक इमरजेंसी, न्यूरो साइंस सेंटर, टीबी चेस्ट हॉस्पिटल, अपर इंडिया हॉस्पिटल पीओपी वार्ड, सर्जरी पीओपी वार्ड, आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट में ऑक्‍सीजन की सप्‍लाई होती है.

अधिकारियों का कुछ ये है कहना..

इस पूरे मामले पर एलएलआर व संबद्ध अस्‍पताल के एसआईसी प्रो. आर.के मौर्या कहते हैं कि, ‘अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर कुछ चीजों का पता लगाया जा रहा है। स्टोर से ऑक्सीजन की खपत के मुकाबले सप्लाई का बिल ज्यादा लग रहा है। इस वजह से अब थर्ड पार्टी से ऑडिट कराया जाएगा। इससे कई चीजें और ज्यादा पारदर्शिता के साथ बाहर निकलकर सामने आएंगी। यह अस्पताल और मरीजों दोनों के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होगा। ’