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..अब दुनिया सुनेगी बुंदेलखंड के किलों की वीर गाथा

कालिंजर किला का द्वार।

नई पर्यटन नीति 2018 में बुंदेलखंड पर योगी सरकार का खास फोकस

समरनीति न्यूज, बांदाः  किलों का प्रदेश कहे जाने वाले बुंदेलखंड के लिए एक अच्छी पहल हो रही है। उपेक्षित ऐतिहासिक धरोहरों को पर्यटन के मानचित्र पर उभारने के लिए यूपी की योगी सरकार ने बड़ी तैयारी की है। बड़े स्तर पर योजना बनाकर सरकार बांदा के कालिंजर, चित्रकूट, महोबा, चरखारी, ललितपुर और देवगढ़ के साथ ही झांसी के कई ऐतिहासिक स्थलों को संवारते की योजना पर काम कर रही है। ये सबकुछ नई पर्यटन नीति 2018 के तहत हो रहा है। इस नई नीति के तहत उत्तर प्रदेश खासकर बुंदेलखंड पर ज्यादा फोकस किया जाएगा।

सरकार के सूबेभर के पर्यटन स्थलों के विकास के सभी प्लान में बुंदेलखंड  

बताते हैं कि पर्यटन को बढ़ावा देने को योजना के अंतर्गत अलग-अलग पर्यटन सर्किट बनाए गए हैं। इनमें लगभग सभी सर्किटों में बुंदेलखंड को शामिल किया गया है। जैसे जैम, स्तूप, कृष्णा सर्किट के साथ इको सर्किट में भी बुंदेलखंड जुड़ा हुआ है। इतना ही नहीं बुंदेलखंड को अलग सर्किट भी बनाया गया है। एतिहासिक धरोहरों के साथ ही धार्मिक स्थलों को पर्यटन के मानचित्र पर उभारा जाएगा। यह अपने आप में एक बड़ा कदम होगा। बुंदेलखंड को इससे बड़ा फायदा होगा। इससे बेरोजगारी दूर होगी और पलायन की समस्या का समाधान होगा। बाहरी पर्यटकों के आगमन से इस क्षेत्र का विकास बड़े स्तर पर होगा।

कालिंजर के किले में फोटोग्राफी करती पर्यटक युवती।

अनुदान व ब्याज पर 5 % छूट, स्टैंप ड्यूटी, डिवलपमेंट चार्ज, लैंड कनवर्जन नहीं 

अच्छी बात यह है कि सरकार पर्यटन की योनजाओं में बड़े स्तर पर अनुदान और बैंक ब्याज में छूट भी देगी। ताकि काम को बढ़ावा मिले। प्रदेश के पर्यटन महानिदेशक अखंड प्रताप सिंह ने जानकारी दी है कि पर्यटन, लाइट एंड साउंड, न्यू थीम पार्क आदि की पूंजी पर अनुदान के साथ बैंक ब्याज पर भी 5 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। स्टैंप ड्यूटी पर भी पूरी तरह से छूट है। लैंड कंवर्जन तथा डिवलपमेंट चार्ज भी नहीं लिया जा रहा है। यह अपने आप में सरकार ने बहुत बड़ा फैसला लिया है जो बुंदेलखंड में पर्यटन के लिए मील का पत्थर साबित होने वाला है।

अपनी गोद में ढेरों ऐतिहासिक धरोहरें किलों के रूप में संजोय हुए है बुंदेलखंड  

बुंदेलखंड भले ही आज भूख, किसानों की आत्महत्या और बेरोजगारी के लिए चर्चित हो। लेकिन ऐतिहासिक रूप से इसका बहुत महत्व है। बुंदेलखंड के इस भूखंड को किलों का प्रदेश कहा जाता है और एक-एक किले को बड़े हैरिटेज के रूप में विकसित किया जा सकता है। यही वजह है कि सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण शुरूआत की है। बताते हैं कि नई पर्यटन योजना में बुंदेलखंड की संस्कृति को भी शामिल किया जाएगा। यहां की ऐतिहासिक धरोहरें अभी घरेलू पर्यटकों को अपनी ओर खींचती हैं। विश्व मानचित्र पर अगर ये उभकर सामने आती हैं तो निश्चित ही देश-विदेश के पर्यटक भी यहां बड़ी संख्या में खींचे चले आएंगे। यहां के किलों की मजबूत दिवारों में दबी-छिपी ढेरों वीर गाथाएं दुनिया सुनेगी भी और देश के राजाओं की बहादुरी का लौहा भी मानेगी।