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ऐतिहासिक नगरी कालिंजर में धूमधाम से कजरी मेले का आगाज

कालिंजर के बेलाताल में कजरी मेला देखने को उमड़ी हजारों की भीड़।

समरनीति न्यूज, बांदाः आज यहां कालिंजर कस्बे में कजरी मेला का शुभारंभ बड़ी ही धूमधाम के साथ हुआ। आज करीब 12 बजे से  झाकियां निकलना शुरू हो गया। पूरे नगर भ्रमण के बाद अथैया दाई मंदिर में 4 बजे कजली उठाकर बेला तालाब के लिए महिलाएं निकलीं। सभी महिलाएं कजली को सिर पर उठाकर आल्हा, ऊदल, सय्यद चाचा, बौना चोर, प्रथ्वी राज, मल्हना का डोला, शंकर जी पर बनीं तमाम आकर्षक झांकियों के साथ-साथ साथ बेला तालाब पहुंचीं। वहां पर मेले का शुभारंभ सांसद भैरो प्रसाद मिश्रा ने किया।

उनके साथ नरैनी के विधायक राजकरन कबीर भी मौजूद रहे। वहां पर कजली खोटी गई।  इसके बाद लोगों ने एक-दूसरे को कजली देकर और गले लगाकर शुभकामनाएं दीं। साथ ही पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया। इस मौके पर पहुंचे राजकरन कबीर, विधायक नरैनी ने कहा कि इस मेले को शासन से हर संभव मदद की जाएगी।

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इस मौके पर भाजपा के जिला महामंत्री राकेश मिश्रा, अतुल सुल्लेरे, धर्मेंद्र सोनकर, मेला कमेटी शंकर कुशवाहा, सरजू कुशवाहा, बंशु सोनकर, विद्यासागर पांडेय, हजारी लाल कुशवाहा, कामता सोनकर प्रधान (कालिंजर) मौजूद रहे।

क्या और क्यों होता है कजरी मेला 

ऐतिहासिक नगर कालिंजर में बुंदेलखंड की शान का प्रतीक विशाल कजली मेला बुंदेलखंड में दो जगहों पर बड़े ही भव्य तरीक़े से मनाया जाता है। एक बांदा जिले के कालिंजर कस्बे में और दूसरा महोबा जिले में।

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पूर्वकाल में कालिंजर के चंदेल शासकों की सामरिक राजधानी महोबा हुआ करती थी।कलिंजर से 20 किलोमीटर दूर पाथर कछार, सतना (एमपी) जिले में है जो कि पथरी गढ़ के राजा ज्वाला सिंह के अधीन था। राजा ज्वाला सिंह मां काली देवी के पुजारी थे और उनका कालिंजर और महोबा का रिश्ता बहुत पुराना था।