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‘हमारी संस्कृति को संजोने का काम कर रही हिंदी’

हिंदी सभा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिंदी दिवस पर बोलते वक्ता।

समरनीति न्यूज, सीतापुरः हिंदी दिवस पर डा अरुन त्रिवेदी ने अपनी पाती कविता का पाठ किया। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने अपनी मूल सांस्कृतिक चेतना को अक्षुण्ण रखने के लिए हिंदी भाषा को हृदय से अपनाने पर दिया जोर। उन्होंने कहा कि हिन्दी केवल भाषा नहीं है बल्कि सनातन वाक् सत्ता एवं भारतीय अस्मिता की सुषुम्ना है जिसमें भारत की संस्कृति सभ्यता और संस्कारों के स्वर समाहित हैं।

‘हिंदी दिवस‘ के मौके पर बताई हिंदी की उपयोगिता  

कहा कि भाषा की विविधताओं में वैखरी के सभी सारस्वत स्वरूप आदरणीय हैं। 69 साल पहले आज ही के दिन हिंदी को ‘राजभाषा’ का दर्जा मिला था।  उन्होंने कहा कि आज भारत में क़रीब दो-तिहाई लोग हिंदी बोलते हैं। दुनिया में दूसरी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है हमारी हिंदी है। हिंदी सिकुड़ नहीं रही बल्कि फैल रही है। कहा कि यह अभी और फैलेगी।

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कहा कि गर्व से कहो हम हिंदी हैं। वर्ष 1918  में महात्मा गांधी ने इन्दौर हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने का आह्वान किया था। कार्यक्रम में आशीष मिश्र, रजनीश मिश्र मंजू शुक्ल, अम्बरीष श्रीवास्तव, सुनील सारस्वत, रमाशंकर मिश्र, कार्तिकेय शुक्ल, अशोक अविरल प्रवीण वर्मा, अनुराग, अनिल, महेंद्र, शक्ति आहना आदि मौजूद रहे। शामिल रहे