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बांदा में बेटी ने हेड मास्टर पिता को दी मुखाग्नि, अंतिम संस्कार में उमड़े शिक्षक

हरदौली घाट पर पिता को मुखाग्नि देती बेटी।

समरनीति न्यूज, बांदाः शहर से सटे इलाके में एक बेटी ने बखूबी बेटे से बढ़कर फर्ज निभाया। हांलाकि, मामला दुख की घड़ी का है लेकिन इस दुख भरी घड़ी में बिन मां की इस बेटी ने जिस तरह धैर्यपूर्वक अपने पिता को मुखाग्नि दी, वह निश्चित रूप से एक बड़े हौंसले की बात है। शायद यही बात है कि हर किसी ने इस बेटी के हौंसले को सलाम किया। बताया जाता है कि शहर के परशुराम मुहल्ले के रहने वाले अश्वनी सिंह बोधिपुरवा प्राथमिक विद्यालय में हेडमास्टर थे। वे बीते कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे और तीन से पहले हालत ज्यादा खराब होने के कारण उनको मेडिकल कालेज बांदा में भर्ती कराया गया था।

हरदौली घाट पर पिता को मुखाग्नि देती बेटी।

बीती रात हो गया था पिता का देहांत  

हेडमास्टर श्री सिंह की पत्नी का काफी पहले देहांत हो गया था। परिवार में  सिर्फ एक बेटी ज्योति है। ग्रेजुएट कर चुकी ज्योति ही पिता की देखभाल कर रही थी। बताते हैं कि बीती रात करीब 3 बजे हेडमास्टर श्री सिंह का देहांत हो गया।

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उनके निधन की खबर से रिश्तेदारों समेत शिक्षक जगत में शोक की लहर दौड़ गई। आज उनका अंतिम संस्कार किया गया। हरदौली घाट पर हुए अंतिम संस्कार के वक्त मुखाग्नि देने का वक्त आया तो कुछ लोगों ने रिश्तेदारों की ओर मुंह किया।

अंतिम संस्कार की परंपरा का निर्वहन करती बेटी।

तभी एमएससी कर रही ज्योति ने आगे बढ़कर इस फर्ज को पूरा करने की बात कही। वहां मौजूद शिक्षक जगत के लोगों ने बेटी ज्योति के इस कदम और हौंसले की सराहना करते हुए उसे सहारा दिया और उसकी इच्छा का सम्मान किया।

2 वर्ष की आयु में हुआ था मां का देहांत 

इसके बाद बाकी लोगों ने भी ज्योति का समर्थन किया। 2 वर्ष की उम्र में मां को खो चुकी ज्योति ने हरदौली घाट पर अपने पिता को मुखाग्नि दी। इस मौके पर शिक्षक जय दीक्षित, आदित्य प्रकाश द्विवेदी, प्रजीत सिंह, शिव प्रसाद सिंह, कमल सिंह तथा निरंजन चक्रवर्ती आदि बड़ी संख्या में शिक्षा जगत के लोग मौजूद रहे। सभी ने स्व. अश्वनी की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

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