मनोज सिंह शुमाली, लखनऊ/बांदाः आगरा में परिवहन विभाग में 2011-12 में पीआरडी जवानों की हुई भर्ती के फर्जीवाड़े की जांच का बम फिर फूटा है। अब 25 परिचालकों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। चौंकाने वाली बात यह है कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जबकि तत्कालीन एसीएम तृतीय सुरेंद्र सिंह चाहल ने इस मामले में उस वक्त के आरएम रोडवेज और प्रबंध निदेशक सिटी ट्रांसपोर्ट नीरज सक्सेना के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति की गई थी, जिसके बाद मुकदमा दर्ज हो गया था। हालांकि, विभागीय कार्रवाई नहीं हुई है।
तब आगरा में एसीएम-3 थे सिटी मजिस्ट्रेट
बता दें कि जांच अधिकारी रहे सुरेंद्र सिंह चाहल इस वक्त बांदा जिले में सिटी मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात हैं। आज उनसे जब इस खबर को लेकर बात की गई तो उन्होंने बताया कि दोषी अधिकारी अबतक बचे हुए हैं।
वहीं नौकरी से हाथ धोने वाले परिचालक अब आरएम के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं। बताते हैं कि मामले में दोषी अधिकारी कुछ महीने बाद सेवानिवृत होने वाले हैं।
यह था पूरा मामला
परिवहन विभाग में वर्ष 2011-12 में पीआरडी जवानों की भर्तियां की गई थीं। इसी दौरान आगरा में भी भर्तियां हुईं। आगरा में फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए बहुत से लोग भर्ती हुए थे। दरअसल, इस पूरे मामला का खुलासा एक आरटीआई के खुलासे के बाद हुआ था। इसकी जानकारी पर तत्कालीन एआरम प्रवीन कुमार ने मामले की शिकायत की थी। इस प्रश्नगत प्रकरण की जांच वर्तमान में बांदा में नगर मजिस्ट्रेट/ तत्कालीन एसीएम-3 सुरेंद्र सिंह चाहल ने की थी। बताते हैं कि अब जिन 25 परिचालकों की फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त नौकरी गई है, उनमें सबसे ज्यादा 10 मथुरा डिपो के हैं।
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