मनोज सिंह शुमाली, ब्यूरो : मोदी लहर में 2017 में बुंदेलखंड की सभी 19 विधानसभा सीटों पर जीत का झंडा गाढ़ने वाली भारतीय जनता पार्टी के कमजोर प्रत्याशी पार्टी के लिए मुसीबत बनते दिखाई दे रहे हैं। दरअसल, अबकी बार पूरे प्रदेश की तरह बुंदेलखंड में भी पार्टी के लिए अलग तरह के हालात हैं। चौथे चरण में होने वाले चुनाव में कई सीटों पर कांटे की टक्कर है। बांदा में चार विधानसभा सीटें हैं।
मोदी-योगी की संजीवनी लगा सकती है नैय्या पार
इनमें बांदा सदर-235 को छोड़ दें तो बाकी पर पिक्चर काफी धुंधली है। अब मोदी-योगी नाम की संजीवनी ही तीन सीटों पर बीजेपी की नैय्या पार लगा सकती है। बांदा सदर में भाजपा मजबूत है। फाइट तो यहां भी है, लेकिन दमखम नजर आ रहा है। इस सीट पर सदर से ही विधायक रहे प्रकाश द्विवेदी मैदान में हैं। वह अपने 5 साल के कामकाज के साथ मतदाओं से मिल रहे हैं।
सदर छोड़ बाकी पर कमजोर चेहरे बने कमजोरी
बाकी तीनों सीटों पर नए चेहरों के रूप में कमजोर प्रत्याशी मैदान में हैं जो पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भरोसे मैदान में खड़े नजर आ रहे हैं। इन प्रत्याशियों का न अपना कोई जनाधार है, न कोई पुराने मजबूत राजनीतिक बैकग्राउंड। दरअसल, बांदा की बबेरू विधानसभा-233, नरैनी विधानसभा-234 और तिंदवारी विधानसभा-232 में भाजपा ने तीनों नए चेहरे मैदान में उतारे हैं। लोग बताते हैं कि हालात तो यह हैं कि तीनों ही प्रत्याशी जनता के बीच ठीक से पहुंच भी नहीं बना पा रहे हैं। खुद पार्टी नेता भी स्थिति को लेकर उलझन में हैं।
सबसे बुरी हालत नरैनी-तिंदवारी और बबेरू में हुई
सबसे बुरी हालत नरैनी और बबेरू विधानसभा सीटों पर है। नरैनी में बीजेपी ने महिला प्रत्याशी ओममणि वर्मा को मैदान में उतारा है। ओममणि नरैनी की नगर पंचायत अध्यक्ष भी हैं। बसपा के दिग्गज गयाचरण दिनकर और सपा की किरन वर्मा के साथ-साथ कांग्रेस की उन्हीं के कौरी समाज की पवन देवी से ओममणि घिरी हुई नजर आ रही हैं।
नरैनी-बबेरू में समाज को संभालने की चुनौती
मुस्लिम और लोधी दोनों ही वोटर अच्छी-खासी संख्या में हैं, लेकिन दोनों ओममणि के पाले से दूर नजर आ रहे हैं। खुद कौरी समाज के वोट भी कट रहे हैं। नरैनी में बीजेपी की नैय्या मोदी-योगी के सहारे ही पार लग सकती है। इसी तरह बेबेरू से भाजपा ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार चुके अजय पटेल पर दांव लगाया है। पार्टी के नाम के अलावा उनके पास व्यक्तिगत जनाधार का अभाव बताया जाता है। खुद पार्टी के लोग उनको टिकट मिलने पर चौंक गए थे।
यहां दो-दो चुनाव हारे नेता पर पार्टी का दांव
2012 में अजय पटेल, भाजपा के टिकट पर बबेरू से ही चुनाव हार चुके हैं। दो-दो बार चुनाव हारे नेता को पार्टी ने क्या सोचकर मैदान में फिर उतारा है, भगवान ही मालिक है। आम आदमी के साथ खुद पार्टी नेता भी स्तब्ध हैं। वहां उनको सपा से कड़ी टक्कर मिल रही है। कांग्रेस इस सीट पर भी पटेल प्रत्याशी उतारकर बीजेपी को नुकसान पहुंचा रही है।
तिंदवारी में सपा और बसपा दोनों से चुनौती
तिंदवारी में भाजपा के जिलाध्यक्ष रामकेश निषाद ताल ठोक रहे हैं। निषाद बाहुल्य तिंदवारी विधानसभा में रामकेश को सपा और बसपा से तगड़ी टक्कर मिल रही है। सपा की ओर से निषादों के नेता कहे जाने वाले सपा के राज्यसभा सांसद रहे विशंभर निषाद अपनी पार्टी के प्रत्याशी के लिए वोट मांग रहे हैं।
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इस सीट पर सपा से भाजपा के ही विधायक रहे ब्रजेश प्रजापति चुनाव लड़ रहे हैं जो स्वामी प्रसाद मौर्ये के साथ भाजपा छोड़ चुके हैं। ब्रजेश प्रजापति से वोटरों की नाराजगी है, लेकिन इसका फायदा भी बीजेपी को नहीं मिलता दिख रहा है। बसपा ने क्षत्रिय प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। इसी एक सीट पर बसपा की स्थिति थोड़ी सी मजबूत देखी जा रही है। तिंदवारी में निषाद और क्षत्रिय वोटर बाहुल्य हैं।
20 को सीएम योगी, 18 को स्वतंत्र देव सिंह के आने की तैयारी
कुल मिलाकर बुंदेलखंड के चित्रकूटधाम मंडल बांदा की चारों पर कहीं भी भाजपा एक तरफा जीत की स्थिति में दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे में बड़े नेताओं की आमद ही कमजोर उम्मीदवारों की नैय्या पार लगा सकती है।
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चर्चा है कि 20 को सीएम योगी आदित्यनाथ और 18 को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह बांदा जनसभाएं करने आ रहे हैं। दोनों नेताओं की जनसभाएं भाजपा के इन डूबते योद्धाओं के लिए संजीवनी साबित हो सकती है।