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अपना भला करना है तो पहले दूसरों का भला कीजिए- आयुक्त

विकासभवन में जलसंकट पर किसानों को संबोधित करते उमाशंकर पांडे व अधिकारीगण।

समरनीति न्यूज, बांदाः विकासभवन में आज जलसंकट से निपटने को लेकर अधिकारियों और किसानों की एक कार्यशाला हुई। इसमें जलसंकट से निपटने के लिए गहन विचार-विमर्श किया गया। किसानों ने अपनी बात रखी और अधिकारियों ने अपने सुझाव। इस तरह कई बड़ी बातें सामने निकलकर आईं। इस बैठक में आयुक्त चित्रकूटधाम मंडल रामविशाल मिश्रा भी मौजूद रहे।

विकास भवन में किसानों संग अफसरों ने किया जलसंकट से निपटने को विचार-विमर्श 

विकास भवन बांदा में जल संकट से निपटने के लिए बैठक हुई किसानों स्वैच्छिक संगठनों प्रशासनिक अधिकारियों ने आपस में 4 घंटे 30 मिनट मंथन किया। आयुक्त श्री मिश्रा ने कहा कि जल बचाना है तो अधिक से अधिक पेड़ लगाएं। इस पृथ्वी पर जितने भी जीव हैं सभी को ईश्वर ने बनाया है। सभी को भोजन का अधिकार है। कहा कि कोई किसी का भोजन ना छीने। यही अच्छा मार्ग है। आयुक्त ने कहा कि यदि हम अपना भला चाहते हैं तो हमें दूसरे का भला करना होगा।

अधिकारियों ने किसानों को खेती के साथ जल बचाव के लिए कई जरूरी सुझाव भी दिए 

जिलाधिकारी दिव्य प्रकाश गिरी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के तालाबों में अधिक से अधिक वर्षा का जल रोका जाना चाहिए। कहा कि जल ही जीवन है। जल है तो कल है। हर हाल में एक-एक बूंद जल बचाया जाए। किसानों को अधिक से अधिक सरकारी सुविधाओं का लाभ लेना चाहिए। एस एन त्रिपाठी उप निदेशक अर्थ एवं संख्या ने कहा कि सेल्फ हेल्प ग्रुप के माध्यम से अपने गांव व परिवार की तरक्की करनी चाहिए। संयुक्त कृषि निदेशक विवेक सिंह ने कहा कि किसानों को सरकार ने बहुत सुविधाएं प्रदान की है। उसे पाने के लिए ऑनलाइन किसानों का पंजीकरण होना जरूरी है।

तालाबों को और अधिक समृद्ध करने और मेढ़ों पर पेड़ लगाने जैसे सुझाव आए सामने  

सामाजिक कार्यकर्ता उमा शंकर पांडे ने कहा कि जल बचाने के गांव में केवल दो ही तरीके हैं। एक खेत में बड़ी मेड बनाएं। मेड के ऊपर पेड़ लगाएं। कहा कि किसानी आज संकट में है। इसे बचाने को आगे आना होगा। इस पृथ्वी पर केवल जल ही अधिकारी है। और दूसरा कोई नहीं इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक श्री भागवत, विमलेश त्रिपाठी सहित कई किसानों के संगठन स्वैच्छिक संगठन के प्रतिनिधि, बुंदेली लोककला के राष्ट्रीय कलाकार रमेशपाल मौजूद रहे। सभी ने अपने अपने विचारों में जल को अत्यधिक बचाने पर जोर दिया।