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लखनऊ : बांदा में BJP की हार का मुद्दा भी राष्ट्रीय महामंत्री के सामने उठा, 2027 में इनका पत्ता होगा साफ..

issue of BJP's big defeat in Banda also raised

मनोज सिंह शुमाली, लखनऊ : लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश में हुई हार की समीक्षा चल रही है। लखनऊ में दो दिन से राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बोम्माराबेट्टू लक्ष्मीजनार्दन संतोष यानी बीएल संतोष बैठकें ले रहे हैं। शनिवार को उन्होंने क्षेत्रीय अध्यक्षों के साथ मीटिंग की थी। आज रविवार को मुख्यमंत्री योगी और दोनों डिप्टी सीएम, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, धर्मपाल सिंह के साथ बंद कमरे में बैठक की। बताते हैं कि इस बीच हार के कारणों पर चर्चा हुई।

बांदा-बुंदेलखंड में बड़ी हार पर चिंतन

कर्नाटक में संघ के हार्डलाइनर प्रचारक की छवि रखने वाले संतोष दो दिन से यूपी में हैं, यह खुद में बड़ी बात है। बीजेपी नेता संतोष जितना लोप्रोफाइल रहते हैं उतने ही बड़े रणनीतिकार माने जाते हैं। राष्ट्रीय महामंत्री के सामने बांदा-बुंदेलखंड में हुई बीजेपी की बड़ी हार का मुद्दा भी उठा। हार की वजह बुंदेलखंड में भी अहंकार, उपेक्षा और भीतरघात ही सामने आई।

प्रत्याशियों के सिर चढ़ बोला अहंकार

दरअसल, पार्टी के बड़े नेताओं ने हार का जो निष्कर्ष निकाला है, वह गलत नहीं है। बांदा-बुंदेलखंड में प्रत्याशियों का जीत को लेकर अहंकार सिर चढ़कर बोल रहा था। कार्यकर्ताओं की उपेक्षा बीते कई वर्षों से हो रही है। भीतरघात भी हुआ। आप इस बात को ऐसे समझ सकते हैं।

झोंकी पूरी ताकत, फिर भी नहीं जीते

बुंदेलखंड के एक प्रत्याशी, जो फोन न उठाने के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने खुलेआम जनसभाओं में कहा कि ‘अगर फोन आपका नहीं उठता तो अमित शाह का भी नहीं उठता। अब हमसे इतना ही हो पाएगा। ‘इस बात से आप समझ सकते हैं कि प्रत्याशी का अहम किस स्तर पर पहुंच चुका था। पूरी ताकत झोंकने के बावजूद जनता की नाराजगी के चलते इन्हें ढाई हजार से कुछ ज्यादा वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा।

न काम किया, न जनता की ही सुनी

वहीं बांदा से दूसरे प्रत्याशी की बात करें तो उन्होंने हालात को देखते हुए जीत से पहले ही हार मान ली थी। जनता में इस बात की काफी चर्चा रही। यह नेता जी 5 साल जनता को ठेंगा दिखाते रहे। एक स्थानीय नेता के पिछलग्गू बनकर

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घूमते रहे। यहां तक कि इन्होंने सांसद पद की गरिमा तक भूला दी। अहंकार इतना कि किसी का फोन तक नहीं उठाया। अगर उठा लेते थे तो ठीक से बात तक नहीं करते थे। जनता ने इनको हराया भी उतना ही शर्मनाक ढंग से।

भीतरघातियों पर नजर रखेगी पार्टी

अब बात भीतरघातियों की करें तो बुंदेलखंड में भी प्रदेश की दूसरे जगहों की तरह ऐसे कई विधायक रहे जो खुद के लिए लोकसभा टिकट चाह रहे थे। जब टिकट नहीं मिला तो अपनी विधानसभाओं में प्रत्याशियों को जिताकर दूसरी जगहों पर हार की रूपरेखा तैयार कर दी। इस तरह से भीतरघात भी हुआ।

कुछ को अब भी नहीं दिख रही जमीन

पार्टी के खास सूत्रों का कहना है कि ऐसे भीतरघातियों की अलग लिस्ट तैयार हो रही है। 2027 के चुनाव में ऐसे धुरंधरों का पत्ता साफ होगा। भीतरघातियों को पार्टी जरा भी माफ करने के मूड में नहीं है। राष्ट्रीय महामंत्री की समीक्षा में उठा बांदा-बुंदेलखंड में पार्टी की हार का यह मामला ऐसे नेताओं की राजनीतिक पर बड़ा असर डालेगा, जो आज भी हवा में उड़ रहे हैं और उन्हें जमीन तो दिखाई ही नहीं दे रही है!

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