मनोज सिंह शुमाली, बांदा : लोकसभा चुनाव 2024 के नजदीक आते-आते उत्तर प्रदेश की राजनीतिक हलचल तेज हो चुकी है। लोकसभा चुनावों में अहम भूमिका निभाने को तैयार प्रदेश के छोटे दल सक्रिय हैं। वहीं बसपा सरकार में कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की पार्टी पूरी तरह सन्नाटे में है। लोकसभा चुनावों को लेकर कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी का अगला कदम क्या होगा, राजनीति के पंडित भी नहीं समझ पा रहे हैं। खुद पूर्व मंत्री मीडिया से दूरी बनाकर चलते नजर आ रहे हैं।
छोटे दलों के बीच कहीं नजर नहीं आ रही पूर्व मंत्री की पार्टी
लोकसभा चुनावों में कुछ ही महीने शेष हैं। दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर जाता है, यह बात सभी राजनीतिक दल अच्छी तरह समझते हैं। सबका फोकस यूपी पर है। छोटे राजनीतिक दलों की कीमत भी बढ़ गई है।
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अभी कुछ दिन पहले सुभासपा पार्टी के प्रमुख ओपी राजभर ने बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने का ऐलान किया। घोसी से सपा विधायक दारा सिंह चौहान ने भी पाला बदलते हुए भाजपा का दामन थाम लिया। निषाद पार्टी से लेकर बाकी सभी छोटे दल अपनी-अपनी महत्ता तलाश रहे हैं।
बांदा-बुंदेलखंड में भी पार्टी का कोई प्रभाव नहीं आ रहा नजर
इस राजनीतिक हलचल के बीच पिछड़ों पर प्रभाव रखने वाले जन अधिकार पार्टी के मुखिया बाबू सिंह कुशवाहा कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। उनकी राजनीतिक सक्रियता भी न के बराबर है। पूर्व मंत्री कुशवाहा के पैतृक जिला बांदा में भी उनकी पार्टी की कोई सुगबुगाहट नहीं है। न कहीं कोई झंडा दिखाई दे रहा है, न कोई नारा उठ रहा है। कुशवाहा का राजनीतिक मुख्यधारा से दूर नजर आना बुंदेलखंड के राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना है। शायद यह भी हो सकता है कि आने वाले दिनों में पूर्व मंत्री कुशवाहा बड़ी राजनीतिक योजना के साथ चुनावी मैदान में उतरकर सामने आएं।
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