

समरनीति न्यूज, बांदा: आखिरकार बांदा के विवादित एडीएम राजेश वर्मा निपट गए। शासन ने उनका तबादला कर दिया है। वैसे तो एडीएम वर्मा का पूरा कार्यकाल ही आरोपों और विवादों से घिरा रहा है। मगर बीते एक सप्ताह से नरैनी रोड स्थित शिव कृष्ण मल्टीस्पेशलिटी हाॅस्पिटल में पत्नी के पार्टनरशिप के खुलासे के बाद ज्यादा चर्चा में थे। शासन ने उन्हें सहकारी चीनी मिल संघ में भेज दिया है।
अपना दल के बड़े नेताओं से नजदीकी की धौंस में रहे ADM
बताते हैं कि अपना दल (एस) के बड़े नेताओं से नजदीकी के चलते एडीएम राजेश वर्मा लगभग 4 साल तक प्रमोशन के बाद भी बांदा में जमे रहे। उनका कार्यकाल विवादों से घिरा रहा। बीडीए में सचिव रहते उनपर गंभीर आरोप लगते रहे। कई दुकानों और मकानों के बिना नक्शे निर्माण को लेकर सवाल उठे।
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बालू खनन में हिस्सेदारी के भी आरोप लगे। आम जनता के बीच भी एडीएम वर्मा की छवि अच्छी नहीं रही। एक महिला नेत्री ने अनशन भी किया। बाद में मामले में माफी मांगकर रफा-दफा किया गया।
कभी फरियादी से मारपीट-कभी खनन और दूसरे गंभीर आरोप
एक फरियादी से मारपीट के आरोप लगे। इस मामले का वीडियो वायरल होने के बाद उनका गनर निलंबित भी हुआ। नरैनी रोड पर ग्रीन बेल्ट पर बने विवादित शिव कृष्ण मल्टी स्पेशलिटी हाॅस्पिटल में उनकी पत्नी के पार्टनर होने के खुलासे ने बड़े विवाद को जन्म दिया। यह भी साबित कर दिया कि उन्होंने कैसे सरकारी पद का दुरुपयोग किया।
जिस अस्पताल को DM ने किया सील, उसमें पत्नी बनी पार्टनर
खुद अस्पताल संचालक अरुणेश पटेल ने इस बात को प्रेसवार्ता में स्वीकार किया था कि एडीएम की पत्नी सोनी वर्मा उनके अस्पताल के डाॅयग्नोस्टिक सेंटर में 30% की पार्टनर हैं और एडीएम उनके बचपन के दोस्त हैं। सूत्रों का कहना है कि शासन इस विवादित निर्माण वाले अस्पताल की उच्चस्तरीय जांच करा सकता है, क्योंकि तत्कालीन डीएम ने इस अस्पताल को सील किया था। फिर सील खुलने और बाद में इसके निर्माण को लेकर तमाम गंभीर सवाल उठते रहे हैं। कहा जाता है कि इसका निर्माण भी सील रहने की अवधि में हुआ।
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