समरनीति न्यूज, बांदा : बांदा जिले में कई वर्षों से जमे आबकारी विभाग के कुछ अधिकारी महकमे और समाज दोनों के लिए नासूर साबित हो रहे हैं। इन अधिकारियों की मिलीभगत से देशी और अंग्रेजी शराब की बिक्री में नियम जमकर टूट रहे हैं। कुछ शराब कारोबारी मनमानी करते दिख रहे हैं। कई वर्षों से बांदा जिले में जमे ऐसे आबकारी विभाग के अधिकारी इसका कारण बने हैं। बीते दिनों पूरे प्रदेश में नकली शराब के खिलाफ अभियान चलाया गया, लेकिन इसके बावजूद बांदा में कोई ठोस कार्रवाई सुनाई नहीं दी। आबकारी से ज्यादा पुलिस एक्शन लेती है।
बांदा शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक नियम किनारे
बांदा पुलिस कई बार शहर से सटे इलाकों में एक्शन लेकर अवैध शराब बनाने की फैक्ट्री और बिक्री पकड़ चुकी है, लेकिन आबकारी विभाग की शायद ही कभी कोई बड़ी कार्रवाई सामने आई हो।
सूत्रों की माने तो शहर में कालूकुआं चौराहे, कचहरी क्रासिंग दूसरे हिस्सों में देर रात या सुबह-सवेरे भी अंग्रेजी शराब ओवररेट देकर बंद शटर के पीछले रास्ते से खरीदी जा सकती है। देर रात तक शराब की बिक्री जारी रहती है। यही हाल ग्रामीण इलाकों का है। सूत्र बताते हैं कि नैरनी, कमासिन, बबेरू, तिंदवारी, चिल्ला, मटौंध क्षेत्रों में शराब बिक्री के नियम-कानून खूब तोड़े जा रहे हैं।
राजनीतिक संरक्षण में रुकवा लेते हैं तबादला
सूत्रों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में देशी शराब की खुलेआम सुबह से शाम तक बिक्री हो रही है। इसपर कोई रोक-टोक नहीं है। वहीं आबकारी विभाग में कुछ अधिकारी लंबे समय से जमे हैं, जो विभाग की साख के लिए समस्या बन चुके हैं। शराब कारोबारियों से गहरे संबंधों की वजह से या अधिकारी कार्रवाई नहीं करते। ऐसे अधिकारियों का तबादला भी हुआ, लेकिन राजनीतिक संरक्षण से हर बार तबादला रुकवा लेते हैं। सूत्र बताते हैं कि इन अधिकारियों पर कई बार शराब बिक्री को लेकर गंभीर आरोप लगे, लेकिन हर बार राजनीतिक पहूंच के कारण बच जाते हैं। ऐसे में ये अधिकारी विभाग के लिए नासूर बन चुके हैं।
ये भी पढ़ें : बांदा में बेरोक-टोक शराब का काला धंधा, पुलिस कार्रवाई पर भी आबकारी के ‘साहबों’ को होता ऐतराज
ये भी पढ़ें : बांदा एनकाउंटर : व्यापारी से रंगदारी के बाद पुलिस रडार पर था माफिया अतीक का शूटर वहीद