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समरनीति स्पेशल

वैश्विक क्षमा दिवस: बांदा की महिला बुद्धिजीवियों के विचार..बिगड़े रिश्तों को संवारने का मौका आज..

वैश्विक क्षमा दिवस: बांदा की महिला बुद्धिजीवियों के विचार..बिगड़े रिश्तों को संवारने का मौका आज..

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मनोज सिंह शुमाली, डेस्क: Global Forgiveness Day 2025 आज 7 जुलाई को पूरी दुनिया 'वैश्विक क्षमा दिवस' मना रही है। दरअसल, आज का दिन खराब रिश्तों को ठीक करने का एक अवसर देता है। इसे महान दिन के रूप में देखा जा सकता है। आज के दिन हम अपने सभी पुराने संघर्षों और शिकायतों की पीड़ाओं से दूर एक नए आज की शुरूआत कर सकते हैं। 'वैश्विक क्षमा दिवस' ऐसे शुरू हुआ सिलसिला गलफहमियों से उपजी दूरियों को कम कर सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सबसे पहले 1994 में विक्टोरिया और ब्रिटिश कोलंबिया में राष्ट्रीय क्षमा दिवस मनाने की शुरूआत हुई। जैसे ही इसकी लोकप्रियता बढ़ी, इसे 'वैश्विक क्षमा दिवस' का नाम देकर पूरी दुनिया में मनाया जाने लगा। इस तरह इसकी शुरूआत हुई। महिला बुद्धिजीवियों ने 'क्षमा' की बताई महत्ता महिला कालेज की प्रोफेसर एवं साहित्याकर डा. सबीहा रहमानी ने कविता के जरिए क्षमा के अद्भुत महत्व...
Women’s Day : विरासत को बखूबी संभालतीं बांदा की ये अपराजिता..

Women’s Day : विरासत को बखूबी संभालतीं बांदा की ये अपराजिता..

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मनोज सिंह शुमाली, बांदा : Women'day Special हर साल 8 मार्च का यह दिन दुनियाभर में महिलाओं के योगदान, उनके त्याग और साहस को समर्पित रहता है। आज तमाम संघर्षों से लड़ते हुए महिलाएं हर क्षेत्र में नई कीर्ति स्थापित कर रही हैं। बुंदेलखंड के बांदा में भी ऐसी ही कुछ अपराजिता हैं जो अपनी विरासत को बखूबी संभाल रही हैं। आइये मिलिए इन महिलाओं से, जिन्होंने जीवन के संघर्षों से कभी हार नहीं मानी। आज उपलब्धियों का नया इतिहास रच रही हैं। ये हैं बांदा की अपराजिता। नाना-दादा की विरासत को संजोती राजनेता अमिता बाजपेई बांदा में महिला राजनेता के तौर पर अमिता बाजपेई एक ऐसा निर्विवादित नाम है जिन्हें अपने दादा और नाना से समाजसेवा और राजनीति की एक समृद्ध विरासत मिली है। बुंदेलखंड में रूढ़िवादिता की चुनौतियों को पार कर अमिता अपनी विरासत को बखूबी संभाल रही हैं। उन्होंने वर्ष 2009 में बांदा-चित्रकूट लोकसभा...
शख्सियत ‘आराधना’, बेजुबानों के नाम इनकी जिंदगी..

शख्सियत ‘आराधना’, बेजुबानों के नाम इनकी जिंदगी..

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मनोज सिंह शुमाली, ब्यूरो (बांदा) : वफादारी का जब कहीं जिक्र होता है तो इंसानों से पहले बेजुबान जानवरों का ख्याल आता है। फिर चाहे वह कुत्ता हो, बिल्ली हो या कोई गोवंश। इन बेजुबान वफादारों की सेवा का जिम्मा भी एक शख्सियत ने उतनी ही वफादारी से करने की ठानी है। इस शख्सियत का नाम है आराधना। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के बांदा जिले की रहने वाली हाइली क्वालीफाइड आराधना सिंह एक रिटायर्ड कमिश्नर की बेटी हैं। कम उम्र में आराधना बेजुबानों की सेवा की जो अद्भुतगाथा लिख रही हैं, वह हर किसी के बस की बात नहीं है। रोज 40 किलो चावल, सब्जियों से बनता है बेजुबानों का खाना अन्ना पशुओं के लिए रोज डलवाती हैं 1 कुंटल भूसा जी हां, आराधना रोज करीब 40 किलो चावल का खाना पकवाकर स्ट्रीट डाॅग के लिए तैयार कराती हैं। फिर उसे रिक्शे से गली-गली कई जगहों पर बंटवाया जाता है। यह सिलसिला रोजाना चलता है। उनके खाने के इं...
Samarneeti Special : बांदा DM आनंद सिंह बोले, विकास को गति और कोरोना का सफाया ही प्राथमिकता

Samarneeti Special : बांदा DM आनंद सिंह बोले, विकास को गति और कोरोना का सफाया ही प्राथमिकता

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समरनीति न्यूज, ब्यूरो : कोरोना के खिलाफ लड़ाई को बेहद योजनाबद्ध ढंग से लड़ा जा रहा है। पारदर्शिता के साथ जांच का दायरा बढ़ाया गया है, ताकि कोरोना को छिपने का मौका न मिले। कोई भी पाॅजिटिव केस मिलने पर संक्रमित के 25 नियर एंड डियर की कांटेक्ट ट्रेसिंग कराकर उसी दिन सैंपलिंग करा दी जाती है। संक्रमित मिलने पर तत्काल इलाज होता है। यही वजह है कि बांदा की कोविड-19 की सीएफआर 1.09 % और संक्रमित दर 1.55 % है, यानि प्रशासन कोरोना पर लगाम कसने में काफी हद तक कामयाब रहा है। ये बातें जिलाधिकारी आनंद कुमार सिंह ने 'समरनीति न्यूज' कार्यालय में एडिटर इन चीफ मनोज सिंह शुमाली से खास बातचीत के दौरान कहीं। पढ़िए खास बातचीत। इस मौके पर जिलाधिकारी से कोरोना संकट से लेकर विकास और जनहित की योजनाओं के साथ ओवरलोडिंग जैसे गंभीर मुद्दों पर बातचीत हुई। कोरोना को योजना बना, कर रहे परास्त जिलाधिकारी ने बताया कि हाल ...
बांदा के क्रिकेट महारथी वासिफ जमां की खेल-खेल में बड़ी अपील, वीडियो वायरल

बांदा के क्रिकेट महारथी वासिफ जमां की खेल-खेल में बड़ी अपील, वीडियो वायरल

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मनोज सिंह शुमाली, बांदाः वैश्विक बीमारी कोरोना से लड़ने के लिए हर शख्स प्रयास कर रहा है। कुछ लोग सरकारी मशीनरी में शामिल होकर इससे दो-दो हाथ कर रहे हैं तो कुछ घर रहकर लोगों को इसके खतरों से अवगत कराते हुए बचाव के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। वहीं कुछ बता रहे हैं कि इस संकट की घड़ी में हिम्मत नहीं हारना है, बल्कि पूरे उत्साह के साथ अपनी तैयारियों को जारी रखना है। ऐसे ही शख्स का नाम वासिफ जमां खान। जिन्होंने कोरोना के खिलाफ खिलाड़ियों से खेल-खेल में बड़ी अपील की है। दरअसल, वासिफ जमां खां का नाम बुंदेलखंड के लिए कोई नया नहीं है, बल्कि छोटे-बड़े सभी खिलाड़ी उनके सह्रदयी व्यक्तित्व और योग्यता से वाकिफ हैं। क्रिकेट के बेहतरीन टिप्स देते हुए की अपील वासिफ बांदा खेल जगत की एक ऐसी शख्सियत और ऐसे प्रशिक्षक हैं  जो अबतक कई खिलाड़ियों को हुनरमंद बनाकर मैदान में झंडा गाड़ने के लिए उतार चुके हैं। ...
जहां भगत सिंह को हुई थी फांसी, पाकिस्तान ने मस्जिद बना डाली

जहां भगत सिंह को हुई थी फांसी, पाकिस्तान ने मस्जिद बना डाली

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 समरनीति न्यूज, डेस्कः सच्चाई और इतिहास से मुंह छिपाने में माहिर पाकिस्तान की एक और करतूत सामने आई है। पाकिस्तान के लाहौर की सेंट्रल जेल में 23 मार्च 1931 को ब्रिटिश हुकुमत ने वीर शहीद सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दे दी थी। अब वहां मस्जिद बना दी गई है। शहीदों की शहादत के नामों-निशान पूरी तरह मिटा से दिए गए हैं। देश के इन वीर सपूतों को याद रखने वाले पाकिस्तान में शायद ही कुछ लोग हों। इतिहास छिपाने में माहिर है पाकिस्तान हालात ऐसे हैं कि जहां भगत सिंह और उनके दोस्तों को फांसी दी गई थी, वहां पाकिस्तान ने मस्जिद बना डाली है। एक अराजक और कट्टरपंथियों वाले देश पाकिस्तान की हुकुमतें शायद देश के इन वीर शहीदों की यादें और उनसे जुड़ी स्मृतियों-निशानियों को लोगों के जहन से मिटा देना चाहती थीं। इसी के चलते ऐसे कारनामे किए गए। मीडिया रिपोर्ट्स-कुलदीप नैय्यर की किताब के तथ्य म...
मध्यप्रदेश के इस गांव में सभी को मुफ्त बांटा जाता है दूध और दही, बड़ी रौचक है इसकी यह वजह..

मध्यप्रदेश के इस गांव में सभी को मुफ्त बांटा जाता है दूध और दही, बड़ी रौचक है इसकी यह वजह..

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मनोज सिंह शुमाली, डेस्कः क्या आप सोच सकते हैं कि आज के दौर में एक गांव ऐसा भी होगा, जहां दूध और दही फ्री में मिलता हो। जी हां, अजीब सी लगने वाली यह बात सौ फीसद सच है। दरअसल, मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में एक ऐसा ही गांव है जहां दूध और दही आज भी फ्री मिलता है। यही वजह है कि लोग बिल्कुल स्वस्थ और तंदरुस्त हैं, क्योंकि यहां दूध और दही बेचा नहीं जाता है। इस गांव का नाम चूड़िया है। लगभग 100 वर्षों से इसी परंपरा का निर्वहन बताया जाता है कि इस गांव के लोग दूध का व्यापार नहीं करते हैं और पालक खुद दूध और दही का इस्तेमाल खाने-पीने के लिए करते हैं। इतना ही नहीं जरूरतमंदों को मुफ्त में देते हैं। गांव के लोग अपनी इस अनोखी परंपरा को बीते करीब 100 साल से निभा रहे हैं। इस गांव में दूध का व्यापार नहीं किया जाता है। यह है गांव वालों के दूध न बेचने की वजह बताते हैं कि इस गांव में करीब 100 साल पहले एक गोसेव...
बुंदेलखंड के इस गांव में नहीं जलाई जाती होली, वजह जानकर चौंक जाएंगे आप..

बुंदेलखंड के इस गांव में नहीं जलाई जाती होली, वजह जानकर चौंक जाएंगे आप..

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समरनीति न्यूज, बांदाः बुधवार रात देश के कोने-कोने में होली जलाई गई, लेकिन बुंदेलखंड का एक गांव ऐसा भी है जहां होली नहीं जलाई जाती है। दरअसल, होली जलाए जाने का जिक्र आते ही इस गांव के लोग बुरी तरह से सहम जाते हैं। बीते कई दशकों से इस गांव में होलिका दहन नहीं होता है। आइये हम बताते हैं आपको इसकी वजह क्या है। दरअसल, यह गांव है मध्यप्रदेश के हिस्से में आने वाले सागर जिले के देवरी विकासखंड के हथखोह गांव। इस गांव में आज भी होलिका दहन का जिक्र लोगों के लिए किसी भयावह सपने से कम नहीं है। होली का न उत्साह, न कोई उमंग  यही वजह है कि होलिका दहन को लेकर इस गांव में, न तो कोई उत्साह नजर आता है और न ही किसी तरह की कोई खुशी या उमंग ही लोगों में दिखाई देती है। यहां होली की रात भी दूसरी सामान्य रातों की तरह ही रहती है। इस गांव में होली न जलाने के पीछे एक किवदंती यह है कि दशकों पहले गांव मे...
बेटियों की बहादुरी के स्वर्णिम बुंदेली इतिहास को दोहरातीं बांदा की प्रीति..

बेटियों की बहादुरी के स्वर्णिम बुंदेली इतिहास को दोहरातीं बांदा की प्रीति..

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मनोज सिंह शुमाली, बांदा : आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। इस मौके पर महिलाओं की भूमिका की बात करें तो शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा जहां महिलाओं ने अपनी काबलियत का लोहा न मनवाया हो। खासकर बुंदेलखंड में बेटियों की बहादुरी और हिम्मतवर भूमिका का एक बेहद स्वर्णिम इतिहास रहा है। आज भी यहां की बेटियां हर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी का लोहा मनवा रहीं हैं। बांदा की ऐसी ही एक बहादुर बेटी हैं प्रीति। जी हां, अपनी बहादुरी के बल पर आज ऐसा मुकाम हासिल कर चुकी हैं कि जहां किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। SSB में असिस्टेंट कमांडेंट हैं प्रीति यह प्रीति की बहादुरी का ही प्रमाण है कि वह जल्द ही आतंक और जातीय हिंसा से जूझ रहे मध्य अफ्रीकी देश कांगो जा रही एसएसबी की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली हैं। दरअसल, बांदा के पुलिस सब इंस्पेक्टर रामकुमार शर्मा की बेटी प्रीति एसएसबी में असिस्टेंट कमांडेंट हैं। बुं...
पत्नी से बचने के लिए दफ्तर में सो जाते थे अब्राहम लिंकन, घरेलू कलह से जूझते रहे जिंदगीभर

पत्नी से बचने के लिए दफ्तर में सो जाते थे अब्राहम लिंकन, घरेलू कलह से जूझते रहे जिंदगीभर

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समरनीति न्यूज, डेस्कः अगर आपके जीवन में पत्नी से अनबन और झगड़ा-फसाद के हालात हैं तो यह मत समझिये कि आप ही परेशान हैं बल्कि इस दुनिया के कई महान लोग भी इस तरह के हालात से जूझते रहे हैं। फिर भी उन्होंने अपने सफल कार्यों से दुनिया में अमिट छाप छोड़ी है। ऐसा ही एक नाम है अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का। अगर अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट पर गौर करें तो पता चलता है कि अब्राहम लिंकन अमेरिका के सबसे सफल राष्ट्रपतियों में से एक थे लेकिन उनका दांपत्य जीवन काफी कलहपूर्ण रहा था। आक्रमक और कलहपूर्ण थीं पत्नी मैरी डाट  उनके जीवनीकारों ने यहां तक लिखा है कि लिंकन के दांपत्य जीवन में हालात इतने खराब थे कि कई बार पत्नी से झगड़े और कलह से बचने के लिए लिंकन अपने दफ्तर में ही सो जाते थे। कहा जाता है कि उन्होंने पूरी जिंदगी खुद को पत्नी से परेशान ही पाया। दरअसल, कहा तो यहां तक जाता है कि लिंकन ने अपनी ...