मनोज सिंह शुमाली, बांदा : घोसी उप चुनाव में 40 हजार से ज्यादा वोटों से हारी भारतीय जनता पार्टी के लिए बांदा से एक और बुरी खबर है। बांदा में पार्टी जिला पंचायत सदस्य का उप चुनाव शर्मनाक ढंग से हार गई है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि स्थानीय लचर संगठन पार्टी की हार का कारण बना है। वहीं यह भी चर्चा है कि बांदा में न तो स्थानीय राज्य मंत्री का कोई जादू चल रहा है और न ही विधायकों की चमक पार्टी के काम आ रही है। बीजेपी की यह हार पार्टी के लिए बड़ी ठोकर है।
कमजोर संगठन और विश्वास खोते जनप्रतिनिधि
बताते चलें कि इससे पहले बांदा में जल शक्ति विभाग के राज्यमंत्री रामकेश निषाद की विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा जिला पंचायत सदस्य का उप चुनाव हार चुकी है। भाजपा से तब यह सीट सपा ने छीन ली थी। इसके अलावा तिंदवारी में निकाय चुनाव भी पार्टी हार गई थी। वहीं अब नरैनी विधानसभा-23 क्षेत्र में जिला पंचायत सदस्य का उप चुनाव हारी भाजपा की चिंता बढ़ना स्वभाविक है।
4,343 वोटों के बड़े अंतर से बसपा ने हराया
नरैनी में शुक्रवार को हुई मतगणना में 4,343 वोटों के बड़े अंतर से बसपा समर्थिक प्रत्याशी संगीता ने भाजपा समर्थित लज्जावती को हरा दिया। संगीता को जहां 9034 वोट मिले। वहीं लज्जावती को 4691 वोट मिले। 680 अवैध करार दिए गए हैं। बहरहाल, इस उप चुनाव से बांदा में भाजपा संगठन की लचर स्थिति सामने आई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि संगठन लगातार कमजोरा पड़ता जा रहा है।
पहले जसपुरा उप चुनाव में सपा से हारी थी बीजेपी
यही वजह है कि एक के बाद एक पार्टी को हार का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी ने एक विधानसभा सीट भी गवां दी थी। निकाय चुनाव जिताने के लिए भी खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आना पड़ा था। सवाल यह उठता है कि क्या स्थानीय जनप्रतिनिधि जनता के विश्वास पर खरे नहीं उतर रहे हैं। या संगठन की रणनीति फेल हो रही है? क्या लोकसभा 2024 के चुनावों से पहले पार्टी को नए सिरे से संगठनात्मक तैयारियों पर विचार नहीं करना चाहिए?
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