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Banda: जेब से निकला BJP अध्यक्ष नहीं चाहते पार्टी कार्यकर्ता

Lok Sabha 2024 : Local BJP leaders

मनोज सिंह शुमाली, बांदा: बांदा में बीजेपी का जिलाध्यक्ष कौन बनेगा? इस सवाल के जवाब को लेकर ज्यादातर स्थानीय भाजपा नेताओं के दिलों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। पार्टी कार्यर्ताओं से लेकर पूर्व पदाधिकारी और पुराने वरिष्ठ नेता इसे लेकर असमंजस की स्थिति में हैं। इसकी वजह यह है कि कोई भी भाजपा नेता यह नहीं चाहता है कि बांदा में किसी बड़े नेता की जेब से निकला व्यक्ति पार्टी का जिलाध्यक्ष बन जाए।

मनमानी-उपेक्षा से आहत कार्यकर्ता

दरअसल, बात यह है कि जेब का अध्यक्ष बनाकर बड़े नेता पार्टी के फैसलों पर असर डालते हैं। अपने हिसाब से फैसले कराते हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं की अनदेखी होती है और चमचे मलाई खाते हैं। हालांकि, बांदा समेत पूरे उत्तर प्रदेश में यह बात भाजपा हाई कमान भी कहीं न कहीं स्वीकार चुका है कि लोकसभा चुनाव में हार का एक बहुत बड़ा कारण कार्यकर्ताओं की उपेक्षा रहा है।

यहां लोकसभा से लेकर सभासद तक हार

तो इसकी उम्मीद कम ही है, क्योंकि कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का एक बड़ा कारण जेब से निकले अध्यक्ष होते हैं। ऐसे अध्यक्ष अपने कार्यकर्ताओं से ज्यादा अपने नेताओं को खुश करने में व्यस्त रहते हैं। बांदा में पार्टी कार्यकर्ता कहीं न कहीं दबे मुंह उपेक्षा की बात उपेक्षा स्वीकारते हैं।

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यह बात अलग है कि पार्टी अनुशासन में बंधे होने के कारण खुलकर कुछ नहीं बोलते। बांदा में बीजेपी संगठन के प्रदर्शन की बात करें तो हालात अच्छे नहीं हैं। किसी से छिपे भी नहीं हैं। यहां पार्टी दोनों ही लोकसभा सीटों पर शर्मनाक ढंग से हारी है। मंत्री और विधायक भी लोकसभा चुनाव नहीं जीता सके।

राज्य मंत्री के क्षेत्र में उप चुनाव सपा जीती

हाल यह है कि जिला पंचायत से लेकर नगर निकाय और कई उप चुनावों में बीजेपी की चौंकाने वाली हार हुई। राज्य मंत्री रामकेश निषाद के जुसपुरा क्षेत्र में पार्टी जिला पंचायत का उप चुनाव बुरी तरह से हारी।

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फिर निकाय चुनाव हारी। विधायकों के क्षेत्र में नगर पालिका सभासद तक का चुनाव पार्टी नहीं जीत पा रही है। ये बातें 2027 के चुनावों को लेकर पार्टी के लिए अच्छे संकेत दे रहीं।

अब खुलकर सामने आ गई पार्टी में गुटबाजी

ऐसे में संगठन की कमजोरी खुलकर सामने आई है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि सभी को साथ लेकर नहीं चला गया। इसलिए हारना पड़ा। हाल ही में जिला पंचायत बांदा में जिस तरह भाजपा के नेता आपस में ही उलझ गए वह और चिंता की बात है। इससे साबति हो गया कि जिले के नेताओं में बड़े स्तर की गुटबाजी है। ऐसे में पार्टी अगर किसी जेब से निकले व्यक्ति की अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी करती है तो 2027 के चुनावों में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है!

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