समरनीति न्यूज, बांदाः जिले में एक बार फिर अवैध खनन जोर पकड़ चुका है। दिन-रात बालू खदानों पर मशीनों से नदियों का सीना छलनी किया जा रहा है। राष्ट्रीय न्यायाधिक प्राधिकरण यानी एनजीटी के तमाम नियम-कानून बालू माफियाओं के आगे बौने साबित हो रहे हैं। वहीं प्रशासनिक और पुलिस मशीनरी भले ही लाख दाबे करे लेकिन बालू माफियाओं पर लगाम कसने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है।
मशीनों से नियम विरुद्ध खनन से बिगड़ रहा नदियों का स्वरूप
ऐसे में प्राकृतिक धरोहर को बेरोक-टोक बर्बाद किया जा रहा है। बताते चलें कि पूर्ववर्ती सरकार में बुंदेलखंड खासकर बांदा में अवैध खनन का ऐसा खेल चला था कि नदियों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया गया था। मशीनों से नदियों को बुरी तरह से खोदा गया था।
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वहीं ओवरलोडिंग ने पूरी व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया था। अब फिर जिले में वही दौर लौट आया है। खदानों पर दिन-रात मशीनों से अवैध खनन का खेल चल रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि जिले का खनन विभाग इस मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं।
बेमौत मारे जा रहे लाखों जलजीव
मशीनों से बालू निकाला जा रहा है। इससे हजारों-लाखों जलजीव भी बेमौत मारे जा रहे हैं। नदियों का स्वरूप बिगड़ रहा है। जिला मुख्यालय से सटी दुरैड़ी की चार खदानों, गिरवां की जर्रर, बदौसा की लहुरेहटा, महुटा और चिल्ला की सादी मदनपुर, नरैनी की कुलावल रायपुर खदान व मवईघाट (एमपी) की खदाने इसका जीता-जागता उदाहरण है।
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इन खदानों पर अवैध खनन को लेकर कई बार बालू माफियाओं में गोलियां भी चल चुकी हैं। इसके बावजूद सरकारी मशीनरी खासकर खनिज विभाग की ओर से कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए हैं। खदानों पर किस तरह कानून और नियम की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं, अगर आपको सच्चाई देखनी है तो इन खदानों पर जाकर देख सकते हैं।
दरअसल, बालू के अवैध खनन से हो रही नदियों की बर्बादी सबको दिखाई दे रही है सिवाय प्रशासनिक अधिकारियों और जिले के खनिज विभाग के अधिकारियों के अलावा। अवैध खनन के खिलाफ उठने वाली आवाजें भी खनिज विभाग के कानों तक नहीं पहुंच रही हैं।
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यह बड़ी चौंकाने वाली बात है कि इतनी कानूनी रोक के बावजूद बालू माफिया और कारोबारी खुलेआम मशीनों से मनमाफिक खनन कर रहे हैं। उधर, इस संबंध में जिले के खनिज अधिकारी शैलेंद्र सिंह से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
खनिज विभाग के कानों पर नहीं रेंगती जूं
बताते चलें कि जिले का खनिज विभाग अवैध खनन को लेकर काफी बदनाम है। खास बात यह है कि समाजसेवी संस्थाएं और किसान अक्सर अवैध और एनजीटी के नियम-कानूनों के खिलाफ होने वाले इस गैरकानूनी खनन के खिलाफ आवाज उठाते हैं। इतना ही नहीं धरना-प्रदर्शन भी करते हैं लेकिन जिले के खनिज विभाग के कानों पर कभी जूं नहीं रेंगती है।