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बुंदेलखंड में भीषण जलसंकट, यूपी-एमपी के 13 बांधों में पानी खत्म

बांदा के चित्रकूट जिले में सूखा पड़ा रसिंद बांध।

समरनीति न्यूज, बांदाः बुंदेलखंड में भीषण जलसंकट पैर पसारता जा रहा है। तालाब सूख चुके हैं और उत्तर प्रदेश से लेकर मध्यप्रदेश तक के सभी 13 बांध खाली हो चुके हैं। कुछ की तलहटी में नाम मात्र के लिए पानी बचा है। हालात भायवह हो चुके हैं। ऐसे में सूखे का खतरा कई गुना बढ़ गया है। आने वाले दिनों में बरसात पर पूरे बुंदेलखंड की खेती-किसानी निर्भर करेगी। अगर हालात नहीं सुधरे तो बुंदेलखंड में भयंकर जल संकट होगा।

अबतक कुल 13 बांधों की स्थिति बेहद खराब, आधे से ज्यादा सूखे, कुछ की तलहटी में पानी  

मौजूदा वक्त में बुंदेलखंड के बांधों की स्थिति को देखें तो पता चलता है सभी बांधों में पानी की उपलब्धता के हालात बेहद गंभीर हैं। कुछ बांध में नाम मात्र को पानी है जबकि कई बिल्कुल सूख चुके हैं। मध्यप्रदेश के छतरपुर व पन्ना जिले के बांधों पर नजर डालें तो छतरपुर के गंगऊ वियर में 56.46 मिली घनमीटर क्षमतानुसार पानी की उपलब्धता होनी चाहिए। लेकिन अभी उसमें मात्र 0.12 मि.घ.मीटर ही पानी शेष है।

यानि पानी तलहटी में ही बचा है। छतरपुर में ही दूसरा बांध रनगवां वियर है जिसमें पानी की उपलब्धता 155.18 मि.घ.मीटर होनी चाहिए। लेकिन इसमें भी मात्र 0.59 मि.घ.मीटर पानी शेष है। मध्यप्रदेश के वरियारपुर वियर में पानी की उपलब्धता 12.60 मि.घ.मीटर होनी चाहिए। लेकिन इस बांध में भी मात्र 0.30 मि.घ.मीटर यानी कुल क्षमता का 2 प्रतिशत ही शेष पानी है।

उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश दोनों सूबों के बुंदेलखंड वाले इलाके में भयंकर जलसंकट के हालात  

उत्तर प्रदेश वाले बुंदेलखंड के बांधों का भी यही हाल है। चित्रकूट जिले में पड़ने वाले बांधों में मौजूद पानी के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि ओहन बांध में 37.75 मि.घ.मीटर पानी होना चाहिए। लेकिन अभी उसमें बिल्कुल भी पानी नहीं है। यही हालत वरुआ बांध का भी है। उसमें पानी की उपलब्धता 23.26 मि.घ.मीटर होना जरूरी है लेकिन उसमें भी पानी सूख चुका है। चित्रकूट के ही गुंता बांध में पानी की उपलब्धता 24.50 मि.घ.मीटर की बजाय केवल 1.28 मि.घ.मीटर रह गई है। जिले के चौथे रसिन बांध में उपलब्धता 13.63 मि.घ.मीटर होनी चाहिए। लेकिन यह बांध भी पूरी तरह से सूख चुका है।

चित्रकूट, महोबा-हमीरपुर में भी बांधों में पानी नहीं, आने वाले दिनों में सूखे की आशंका तेज  

महोबा जिले बांधों की हालत भी खराब है। वहां उर्मिल बांध में पानी की उपलब्धता 113.50 मि.घ.मीटर व मझगवां बांध पानी की उपलब्धता 25.92 मि.घ.मीटर तथा कबरई बांध में 11.94 मि.घ.मीटर उपलब्धता होनी चाहिए। लेकिन ये तीनों ही बांध सूखे पड़े हैं। महोबा के बाकी बचे दो बांधों में पानी न के बराबर है। चंद्रावल बांध में 30.87 मि.घ.मीटर की बजाए 0.48 मि.घ.मीटर पानी बचा है जो कुल पानी के मात्र 1% है।

अर्जुन बांध में पानी की उपलब्धता 58.45 मि.घ.मीटर होने की बजाय 1.64 मि.घ.मीटर है जो कुल पानी का मात्र 2 % फीसद है। हमीरपुर जिले के मौदहा बांध में पानी की उपलब्धता 179 मि.घ.मीटर अनिवार्य है लेकिन मौजूदा समय में इस बांध में भी मात्र 4 मि.घ.मीटर पानी बचा है। जो कुल पानी का 2 % है।

इन हालातों में किसानों के सामने आने वाले दिनों में सिंचाई की समस्या भयानक रूप ले लेगी। वहीं इस वक्त भी किसान समस्या का सामना कर रहे हैं क्योंकि वे अपने पालतू जानवरों को पानी तक नहीं पिला पा रहे हैं। ऐसे में फसलों की बर्बादी लगभग तय है। किसान अभी से हालात को लेकर बेहद चिंता में हैं।

तालाब और कुएं पहले ही सूख चुके  

बुंदेलखंड के ज्यादातर तालाब और कुएं पहले ही सूख चुके हैं। भीषण गर्मी में जब तापमान 47 डिग्री तक पहुंच चुका है। ऐसे में गांवों में लोग पानी के लिए परेशान होने लगे हैं। वहीं प्रशासनिक स्तर पर अभी से सूखे से निपटने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।