समरनीति न्यूज, लखनऊः राजधानी लखनऊ की बिजनौर पुलिस ने सॉल्वर गैंग गिरोह का खुलासा किया है। सॉल्वर गैंग में एक यूपी ग्रामीण बैंक के सहायक मैनेजर समेत कुल 9 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। बताते हैं कि पुलिस ने बीआर परीक्षा केंद्र पर 5 अक्टूबर को IBPS क्लर्क परीक्षा 2025 में एक मुन्ना भाई को पकड़ा था।
यूपी ग्रामीण बैंक संभल में सहायक मैनेजर है गैंग सरगना आनंद कुमार
उसकी गिरफ्तारी के बाद ही पुलिस ने यह बड़ा खुलासा किया है। पकड़े गए मुन्ना भाई ने पुलिस के सामने पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए।
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उसकी जानकारी के आधार पर पुलिस ने गिरोह के 8 सदस्यों को मंगलवार को बिजनौर अंडरपास से गिरफ्तार किया। गिरोह का सरगना आनंद कुमार यूपी ग्रामीण बैंक संभल में असिस्टेंट मैनेजर पद पर कार्यरत है। कुछ आरोपी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। एक आरोपी यूको बैंक का बड़ा अधिकारी है।
यूको बैंक का स्केल-वन अधिकारी है सुधांशु, बैंक क्लर्क भी शामिल
डीसीपी दक्षिणी निपुन अग्रवाल का कहना है कि बीती 5 अक्टूबर को लखनऊ के बिजनौर में बीआर परीक्षा केंद्र में एक मुन्ना भाई को पुलिस ने पकड़ा था, जिसकी पहचान बोध गया (बिहार) के अभिषेक कुमार के रूप में हुई थी। पूछताछ में उसने बताया कि वह फर्जी अभ्यर्थी बनकर गौरव आदित्य की जगह पर एग्जाम दे रहा था। इसके बाद पुलिस ने एक-एक कर पूरे गैंग की कुंडली खंगाली।
गैंग में ज्यादातर सरकारी नौकरी वाले और उच्च शिक्षित ही शामिल
पुलिस ने यूपी ग्रामीण बैंक खबूपुरा, संभल में तैनात असिस्टेंट मैनेजर एवं गैंग के सरगना, मास्टर माइंड आनन्द कुमार, निवासी जहानाबाद को गिरफ्तार किया। उसके साथ पोस्ट ग्रेजुएट गौरव आदित्य निवासी पटना को भी पकड़ा गया है।
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इनके अलावा इस गैंग में यूपी ग्रामीण बैंक में क्लर्क भागीरथ शर्मा निवासी गया, यूको बैंक में स्केल-1 अफसर सुधांशु कुमार निवासी लखी सराय, बीएड छात्र धनंज्य कुमार निवासी जहानाबाद, बीटेक छात्र राजीव नयन पांडे निवासी जहानाबाद, ईपीएफओ क्लर्क मुकेश कुमार निवासी गोपालगंज, बीएससी विद्यार्थी आशीष रंजन निवासी नालन्दा और बीएससी पास हर्ष जोशी निवासी चम्पावत (उत्तराखंड) को गिरफ्तार किया है।
इस तरह लिया जाता था अभ्यर्थी से रुपया, कुल 5 लाख 20 हजार वसूली
डीसीपी का कहना है कि गैंग के मुख्य सरंगना आनन्द कुमार ने पूछताछ में बताया है कि वह प्रति कंडीडेट 2 लाख रुपए लेता था। अभ्यर्थी को प्रारंभिक परीक्षा के लिए साॅल्वर को 20 हजार और मुख्य परीक्षा के लिए 1 लाख रुपए देने होते थे।
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फिर नौकरी लगने के बाद 2 लाख रुपए देता था। इस तरह कुल 5 लाख 20 हजार रुपए की वसूली होती थी। बताते हैं कि आरोपी परीक्षार्थियों का फॉर्म भरते समय फर्जी एवं वास्तविक अभ्यर्थी की फोटोज को फेस मिक्सिंग ऐप और एआई का इस्तेमाल कर दो चेहरों को 70% तक एक जैसा बनाते थे। ऐसे में उनके चेहरे सही से पहचान में नहीं आते थे। इसी बात का फायदा साॅल्वर उठाते थे।
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