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बांदाः आत्महत्या नहीं, हत्या थी सरम बहादुर की मौत, होमगार्ड प्रेम में पुलिस की लापवाही बन गई वजह

समरनीति न्यूज, बांदाः  बांदा के अतर्रा में हुई समरबहादुर यादव की मौत आत्महत्या नहीं थी बल्कि उसकी हत्या करके लाश को टांग दिया गया था ताकि वह आत्महत्या लगे। हांलाकि घटना के बाद शव के घुटने जमीन पर टिके होने के कारण पहले ही पुलिस को शक था लेकिन बाद में उसके भाई की तहरीर पर पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस को घटना में मुख्य आरोपी होमगार्ड समेत चार बाकी लोगों की तलाश है।

होमगार्ड और उसके बेट व भतिजों ने पहले मिलकर पीटा और बाद में पुलिस से शिकायत पर मारकर लटकाया, मुकदमा दर्ज 

बताया जाता है कि ग्राम ऐंचवारा निवासी  समर बहादुर यादव उर्फ कटोरु (36) वर्ष की लाश बुधवार को घर के अंदर रस्सी से टंगी मिली थी। मृतक के घुटने जमीन पर सटे थे। बताते हैं कि समर की पत्नी बिन्नू 3 महीने पहले मायके ग्राम महुटा के मजरा कबरा पुरवा बच्चों को लेकर चली गई थी। अब वह अकेला घर में रहता था। घटना की  सुबह 10 बजे मृतक का बड़ा भाई विजय बहादुर को दवाई दिलाने के लिए बुलाने पहुंचा तो वहां समर की लाश लटकी मिली। भाई के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने पुलिस को सूचना दी।

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हांलाकि उसके भाई ने पहले ही पुलिस को मामले में हत्या का शक जाहिर करते हुए गांव के ही होमगार्ड पर हत्या का शक जाहिर किया था लेकिन पुलिस पहले होमगार्ड को बचाने का प्रयास करती रही। बाद में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके शरीर पर गंभीर चोटों के निशान भी आए। मामले की गंभीरता को समझते हुए पुलिस ने आरोपी होमगार्ड समेत चार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके धर-पकड़ के लिए छापामारी शुरू कर दी है।

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बताते हैं कि मृतक के भाई विजय बहादुर ने थाने पर तहरीर देकर अतर्रा थाने में तैनात होमगार्ड राजाराम, उसके पुत्र कमल तथा किशोरी लाल व नंदकिशोर पुत्रगण चुनकावन ने उसके भाई से बीती 9 अगस्त को मारपीट की थी। इसमें होमगार्ड ने उसके भाई का हाथ भी तोड़ दिया था। शरीर पर पिटाई के गंभीर निशान थे। पुलिस ने मामले में शिकायत पर दोनों पक्षों के लोगों के खिलाफ शांतिभंग की कार्रवाई करके पल्ला झाड़ लिया था।

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आरोप है कि उसी खुन्नस के चलते आरोपियों द्वारा समर बहादुर की हत्या करके उसके शव को लटका दिया गया। आरोपियों को लगा कि मामला आत्महत्या का लगेगा। लेकिन मौके पर मिले सबूतों के बाद पुलिस ने मामले को दबा नहीं पाई। मृतक के भाई का कहना है कि अगर पुलिस उसी समय आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर देती तो वे सभी हत्या करने का दुस्साहस नहीं जुटा पाते। मामले में अतर्रा पुलिस की भूमिका को लेकर जनता में काफी आलोचना हो रही है।