

समरनीति न्यूज, बांदा: बांदा में बीती 22 मार्च को शहर के दो बड़े व्यापारियों और एक ठेकेदार के खिलाफ 3 युवतियों से दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ था। इस मामले में भले ही सभी आरोपी जेल जा चुके हों। लेकिन शहर में आज भी यह प्रकरण चर्चा में है। चर्चा अब इस बात को लेकर है किस-किस ने मामले को दबवाने के नाम पर काॅलर ऊंचा किया। कई नामों को लेकर चर्चाएं हैं। एक नाम कुछ ज्यादा ही सुर्खियों में है। बताते हैं कि एक निजी स्कूल के मालिक ने भी आरोपियों को बचाने और पूरे प्रकरण के सेटेलमेंट की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली थी।
काफी हाई कांफिडेंस लेवल, मगर..
मगर इनकी दाल गली नहीं। हालांकि, बताते हैं कि इनका कांफिडेंस लेवल बड़ा हाई था। इसकी दो वजह थीं। एक वजह सजातीय पुलिस अधिकारियों से संपर्क और दूसरी बीजेपी का पोस्टर बाॅय नेता होना। मगर इस हाई प्रोफाइल रेप केस में सिफारिश की इनकी सारी कोशिशें बेकार साबित हुईं। या कह लीजिए कि इनकी दाल नहीं गली।
आईना दिखाकर वापस लौटाया
सूत्र बताते हैं कि इनको आईना दिखाते हुए इंकार कर वापस लौटा दिया गया। क्योंकि मीडिया में मामला आने के बाद राजधानी के बड़े नेता भी इसका संज्ञान ले चुके थे। ऐसे में शहर के इस पुराने स्कूल के मालिक का ना जाति कार्ड चला और न ही पार्टी कार्ड। शहरभर में इसकी खूब चर्चाएं हैं।
यह है पूरा मामला
बांदा कोतवाली में एक दलित और दो मुस्लिम युवतियों ने 22 मार्च को एक मुकदमा दर्ज कराया था। युवतियों का आरोप है कि हीरो एजेंसी के आशीष अग्रवाल, गुटखा कारोबारी स्वतंत्र साहू और ठेकेदार लोकेंद्र चंदेल ने नौकरी का झांसा देकर उनके साथ रेप किया। अश्लील वीडियो बनाकर महीनों उनका यौन शोषण करते रहे। कोतवाली पुलिस ने शुरू में मामले में गंभीरता नहीं दिखाई। इस कारण आरोपियों को भागने का मौका मिला। जब मीडिया में मामला सुर्खियों में आया तो पुलिस एक्टिव मोड पर आई। दो आरोपियों ने कोर्ट में सरेंडर किया। दो को पुलिस ने नाटकीय ढंग से गिरफ्तार किया।
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