

मनोज सिंह शुमाली, ब्यूरो: चित्रकूटधाम मंडल का मुख्यालय बांदा शहर लाखों की आबादी संजोय है। स्वास्थ्य सेवाओं की बात करें तो यहां मेडिकल कालेज है, मंडलीय अस्पताल और जिला अस्पताल भी हैं लेकिन बीते 1 साल से एक भी ह्रदय रोग विशेषज्ञ नहीं है। न मेडिकल कालेज और न जिला अस्पताल में। ह्रदय रोगियों का कानपुर जाना मजबूरी है। यह विडंबना नहीं तो क्या है? सरकार ने बांदा को मंत्री तो दिया, मगर हार्ट का डाॅक्टर नहीं दिया।
इमर्जेंसी में कानपुर के अलावा कोई विकल्प नहीं

भगवान न करें, अगर किसी को हार्ट अटैक पड़ जाए या कोई दूसरी ह्रदय रोग संबंधित इमर्जेंसी आ जाए तो उसके पास कानपुर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं। कानपुर की दूरी मात्र 140 किमी हैं, मगर उबड़-खाबड़ रास्ता पार करना चुनौती से कम नहीं। ‘समरनीति न्यूज’ के मंच से बांदा का जनमानस लगातार आवाज उठा रहा है। पढ़िए! बुद्धिजीवी वर्ग का क्या कहना है..

शहर के जरैली कोठी में रहने वाले सेना मेडिकल कोर से रिटायर पूर्व चिकित्सा सहायक राजेश सिंह चंदेल का कहना है कि यह बड़ी चिंता की बात है।
इमर्जेंसी में कानपुर जाना ही एक मात्र विकल्प
अगर किसी ह्रदय रोगी को इमर्जेंसी में इलाज की जरूरत हो तो क्या करेगा? वह सिर्फ कानपुर जा सकता है। हर व्यक्ति के लिए सबकुछ आसान नहीं होता। यहां ह्रदय रोग विशेषज्ञ की बहुत ज्यादा जरूरत है।

राजकीय इंटर कालेज (बिलगांव) के प्रवक्ता आशीर्वाद सिंह कहते हैं कि यह बड़े ही खेद का विषय है कि यहां मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पताल होने के बावजूद हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅक्टर नहीं है। चित्रकूट-महोबा के हृदय रोगियों को भी कानपुर-लखनऊ जाना पड़ता है। सरकार को इस दिशा में जल्द ही कदम उठाना चाहिए।

शहर के युवा व्यवसाई प्रशांत शर्मा का कहना है कि बांदा के साथ आसपास के जिलों, हमीरपुर, चित्रकूट और महोबा के लोग भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बांदा पर निर्भर है। यहां कार्डियोलाजिस्ट (ह्रदय रोग विशेषज्ञ) का न होना, पूरे क्षेत्र के लिए चिंताजनक है। मेडिकल कालेज में कम से कम एक ह्रदय रोड विशेषज्ञ/प्रोफेसर की तत्काल तैनाती होनी चाहिए।

बांदा की गृहणी रीता ओमर ने भी इसपर चिंता जताई। उनका कहना है कि आजकल हर परिवार में किसी न किसी व्यक्ति को ह्रदय संबंधित रोग है। ऐसे में यहां डाॅक्टर का न होना काफी गंभीर बात है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए इस दिशा में गंभीरता दिखाए। जल्द से जल्द एक डाॅक्टर की तैनाती हो।

वरिष्ठ शासकीय अधिवक्ता विमल सिंह कहते हैं कि यह बहुत ही खेदजनक है। स्वास्थ्य सेवाओं की जब हम बात करते हैं तो सबसे पहले ह्रदय रोग से संबंधित बात ही उठती है। मेडिकल कालेज और जिला अस्पताल में एक-एक ह्रदय रोग विशेषज्ञ का होना नितांत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ‘समरनीति न्यूज’ के माध्यम से उनकी सरकार से अपील है कि जल्द ही बांदा में ह्रदय रोग विशेषज्ञ की तैनाती कराएं।

शहर के कपड़ा व्यवसाई गोपाल गुप्ता कहते हैं, ह्रदय रोग विशेषज्ञ का न होना, खुद में बड़ी चिंता की बात है। सरकार को एक डाॅक्टर की तैनाती तुरंत करनी चाहिए।
कम से कम मेडिकल कालेज में तो डाक्टर होना ही चाहिए। वैसे भी सर्दी के मौसम में ह्रदय रोगियों की समस्याएं बढ़ जाती हैं। लोग इलाज को कहां जाएंगे।

युवा समाजसेवी शशांक शेखर सिंह का कहना है कि कुछ दिन पहले उनके पिता जी की तबीयत खराब हुई। कानपुर में उनका इलाज कराया गया। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
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मगर उस समय बांदा में हार्ट का डाॅक्टर न होने की कमी बेहद खली थी। वह कहते हैं कि मंडल मुख्यालय पर एक ह्रदय रोग विशेषज्ञ तो होना ही चाहिए।

बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष मनोज पुरवार का कहना है कि ह्रदय रोग विशेषज्ञ का न होना चिंता की बात है। हम सभी को कभी न कभी एक बार ह्रदय रोग की चिंता जरूर होती है। उन्होंने कहा कि वह खुद भी प्रयास करेंगे कि बांदा में कार्डियोलाॅजिस्ट की तैनाती हो।

कविता अग्रहरी का कहना है कि हार्ट की समस्या आज के समय में आम बात हो गई है। पूरे जिले में एक भी कार्डियोलाॅजिस्ट का न होना, बड़ी चिंता की बात है। खासकर सर्दी के मौसम में ह्रदय रोग की समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसलिए मरीज को तत्काल डाक्टर और इलाज की जरूरत होती है। उम्मीद है कि जल्द व्यवस्था होगी।
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