मनोज सिंह शुमाली, लखनऊ: विधानसभा चुनाव 2027 में भाजपा के मौजूदा विधायकों के लिए टिकट की दावेदारी आसान नहीं होगी। पार्टी विधायकों को दोबारा टिकट के लिए बड़ी अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा। लोकसभा में हार के बाद 2027 के विधानसभा चुनावों को बड़ी चुनौती मानकर चल रही भाजपा टिकट देने से पहले सभी विधायकों को जनता की कसौटी पर अच्छे से परखेगी। सच तो यह है कि जनता में विधायकों की छवि और उनका कामकाज परखने का काम पार्टी ने शुरू भी कर दिया है।
चुनावी मोड से पहले विधायकों को कसौटी पर कसेगी पार्टी
दरअसल, यूपी में लगातार दो बार सरकार बनाने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी हैट्रिक की तैयारी में है। इसके लिए जरूरी है कि चुनावी समर में उन्हीं को मैदान में उतारा जाए, जो जीत की काबलियत रखते हों। सरकार और भाजपा चुनावी मोड पर आने से पहले मौजूदा विधायकों के बारे में पूरा ब्योरा इकट्ठा करना चाहते हैं।
टिकट वितरण में गलती का रिस्क नहीं लेना चाहती भाजपा
इसके लिए यूपी में सभी विधानसभा क्षेत्रों में गोपनीय ऑडिट चल रहा है। ताकि पता चले कि विधायक की जनता के बीच कैसी छवि है। पार्टी जानती है कि टिकट वितरण में जरा सी भी गलती भारी नुकसान की वजह बन सकती है। इसलिए कोई रिश्क लेने की गुंजाइश नहीं है।
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पार्टी से जुड़े सूत्रों की माने तो विधायकों का ऑडिट कराने की जिम्मेदारी सरकार को सौंपी गई है। सरकार ने कुछ एजेंसियों को इस काम में लगाया है। एजेंसियां गोपनीय रूप से ऑडिट करा रही हैं।
इन 3 श्रेणियों में होगा आकलन
पार्टी सूत्र बताते हैं कि इस ऑडिट में विधायकों की छवि का आकलन होगा। जो तीन ए, बी और सी 3 श्रेणियों में होगा। ऑडिट के बाद विधायकों को श्रेणीबद्ध अंक भी दिए जाएंगे। सर्वाधिक अंक वाले विधायक को ए श्रेणी मिलेगी। बाकी क्रमवार रहेंगे। सरकार स्तर से पूरा डाटा तैयार कर शीर्ष नेतृत्व को रिपोर्ट भेजी जाएगी। तब टिकट पर फानल मुहर लगेगी।
इन बिंदुओं पर होगी विधायकों की अग्निपरीक्षा
- पहली-दूसरी बार के विधायकों का क्षेत्र में कामकाज कैसा रहा।
- विकास निधि की धनराशि कैसे और कितनी खर्च की।
- क्षेत्र की जनसमस्याओं के निस्तारण में कितनी सक्रियता बरती।
- बीते दो चुनों में जीत का मार्जिन क्या रहा, अगर कम है तो क्यों।
- क्षेत्र की जनता की नजर में विधायकों की ओवरआल छवि कैसी है।
- 2027 में चुनाव जीतने की मौजूदा विधायकों की संभावना क्या है।
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