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बड़ा खुलासाः 20 लाख ईवीएम हुईं गायब, किसी को कानों-कान खबर नहीं, आयोग भी अंजान..!

प्रतिकात्मक फोटो।

समरनीति न्यूज, पॅालीटिकल डेस्कः लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान के पांच चरण पूरे हो चुके हैं और दो बाकी हैं। आधे से ज्यादा चुनाव होने के बाद एक बड़ा खुलासा यह हुआ है कि 20 लाख ईवीएम आयोग के कब्जे में आने से पहले ही गायब हो गई हैं। ऐसे में एक बार फिर निष्पक्ष चुनाव को लेकर सवाल उठने लाजमी हैं। ईवीएम निर्माता कंपनियों का कहना है कि उन्होंने सभी ईवीएम चुनाव आयोग को दी हैं लेकिन आयोग का कहना है कि उसको ये ईवीएम नहीं मिली हैं। ये खुलासा बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर हुई एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हुआ है। तब मालूम चला है कि 20 लाख ईवीएम मशीन चुनाव आयोग के पास हैं ही नहीं। ऐसे में निष्पक्ष चुनाव को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। एक अंग्रेजी पत्रिका ने इस खबर को प्रकाशित किया है।

अंग्रेजी पत्रका फ्रंटलाइन की खबर से हुआ खुलासा

अंग्रेजी पत्रिका फ्रंटलाइन में प्रकाशित खबर में कहा गया है कि बॅांबे हाईकोर्ट में सूचना के अधिकार को आधार बनाकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी, इसकी सुनवाई के दौरान न सिर्फ इस मामले का खुलासा हुआ बल्कि यह भी पता चला कि ईवीएम को लेकर आयोग के काम करने का तौर-तरीका क्या है। पंत्रिका की खबर में दिया गया है कि बॉम्बे हाईकोर्ट में मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता मनोरंजन रॉय ने लगभग 13 महीने पहले 27 मार्च 2018 को एक जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका में मनोरंजन रॅाय ने ईवीएम की खरीद, डिलीवरी और रख-रखाव संबंधित जानकारियां मांगी थीं।

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आरटीआई में मिली जानकारियों के आधार पर ही याचिका दायक की गई थी। इसके बाद मुंबई हाईकोर्ट ने केंद्रीय चुनाव आयोग के साथ ही महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग और केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ-साथ ईवीएम बनाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की दो कंपनियों को डाटा उपलब्ध कराने के आदेश दिए।

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इन दोनों कंपनियों में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), बेंगलुरु तथा इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल), हैदराबाद शामिल हैं। इस दौरान यह जानकारी मिली कि ईवीएम निर्माता कंपनियों की ओर से जो ईवीएम चुनाव आयोग को भेजी गईं, उनमें से 20 लाख ईवीएम आयोग के कब्जे में पहुंची ही नहीं। सवाल यह उठता है कि आखिर यह ईवीएम मशीनें गईं कहां। कौन इन मशीनों को लेकर गया, या कहां इनका इस्तेमाल हो रहा है। आखिर कैसे इतनी आसानी से इतनी संख्या में ईवीएम गायब हो गईं।

116.15 करोड़ की वित्तीय अनियमितता की आशंका

पत्रिका की खबर पर गौर करें तो पता चलता है कि कोर्ट में ईवीएम की खरीद, भंडारण और इसके इस्तेमाल को लेकर जानकारियों से पता चलता है कि खरीद के दौरान आयोग और कंपनियों के बीच लेन-देन में 116.15 करोड़ रुपए की अनियमित्ताओं की आशंका हैं। बताया जा रहा है कि बीते 13 महीनों में इस याचिका पर 7 सुनवाई कोर्ट में हो चुकी हैं और चुनाव आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग दोनों ही गायब ईवीएम के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सके हैं।

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यह मिली आरटीआई में जानकारियां

पत्रिका में बताया गया है कि मनोरंजन राय की ओर से दायर की गई आरटीआई के बदले मिली जानकारियों में पता चला है कि 21 जून, 2017 को चुनाव अयोग ने जवाब में बताया है कि उसे बीईएल की ओर से 1989-90 और 2014-15 के बीच 10,05,662 ईवीएम मिलीं थीं। इसके अलावा 2 जनवरी, 2018 को बीईएल ने आरटीआई के जवाब में जानकारी दी है कि उनके द्वारा 1989-90 और 2014-15 के बीच 19,69,932 ईवीएम चुनाव आयोग को दी गईं थीं।

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इतना ही नहीं ईवीएम निर्माता दूसरी कंपनी ईसीआईएल ने 16 सितंबर, 2017 को मनोरंजन राय को आरटीआई के जवाब में बताया है कि उसने 19,44,593 ईवीएम की आपूर्ति चुनाव आयोग की थी। वहीं बताते हैं कि इस मामले में भी आयोग की जानकारी अलग है। आयोग की ओर से कहा गया है कि उसे ईसीआईएल की ओर से 1989-90 और 2016-17 के बीच 10,14,644 ईवीएम ही मिलीं थीं।

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चौंकाने वाली है यह पूरी की पूरी जानकारी

यह पूरी जानकारी बेहद चौंकाने वाली है, चुनाव आयोग को बीईएल की ओर से दी गई 9,64,270 ईवीएम मिलीं ही नहीं और दूसरी कंपनी ईसीआईएल की ओर से दी गई 9,29,949 ईवीएम भी आयोग को नहीं मिलीं। आरटीआई कार्यकर्ता रॉय भी इस जानकारी के सामने आने के बाद काफी हैरान हैं। बताते हैं कि रॉय ने ईवीएम बनाने वाली दोनों निर्माता कंपनियों से आरटीआई से हर साल के ऑर्डर-सप्लाई चार्ट की मांग भी की। इसमें भी कई गड़बड़ियां सामने आईं हैं।

आयोग और कंपियों के बीच लेन-देन का विवरण

2006-07 से 2016-17 तक यानी इस 10 साल में चुनाव आयोग और बीईएल के बीच ईवीएम खरीद पर कुल खर्च 5,36,01,75,485 रुपए का लेन-देन हुआ। वहीं बीईएल की ओर से आरटीआई के जवाब में 20 सितंबर, 2017 को कहा गया कि उसने 6,52,56,44,000 का भुगतान लिया है। बताते हैं कि इससे मालूम पड़ रहा है कि कंपनी को 116.15 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान दिया गया।

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