समरनीति न्यूज, सीतापुर : नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर आज सीतापुर पहुंचीं। उन्होंने सरकार पर पूंजीपतियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। साथ ही जंगल-खेती से संबंधित कानूनों में बदलाव का विरोध भी किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 1980 में बने संबंधित कानून में बदलाव कर सरकार पूरी तरह से पूंजीपतियों को बढ़ावा दे रही है। कहा कि जल, जमीन और जंगल पर निर्भर रहने वालों की आजीविका संकट में है। दरअसल, मेधा पाटकर सोमवार को पिसावां के पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में आयोजित संगठित किसान मजदूर संगठन की जनसभा को संबोधित कर रही थीं।
कहा, कंपनियों को खेती से जोड़ने की कोशिश
मेधा ने कहा दिल्ली में बैठे लोग 1980 का कानून बदल रहे हैं। जंगल-खेती के कानून बदलकर कंपनियों को खेती से जोड़ने जा रहे हैं। यह बेहद दुखद है। उन्होंने कहा कि मजदूरों में आपसी भाईचारा बेहद जरूरी है। इसके बिना झंडे, बैनर और गीत सबकुछ फिजूल हो जाएंगे। कहा कि सरकार को स्वतंत्रता के 75 साल मनाने से पहले संकल्प लेना चाहिए था कि हर गांव में स्वराज्य बहाल करेगी।
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इसी क्रम में सीतापुर के रामपुर मथुरा में कटान पीड़ितों का भी मेधा पाटकर ने दर्द जाना। उनके साथ सीतापुर की समाजसेविका ऋचा सिंह भी मौजूद रहीं। दोनों रामपुर मथुरा में सरयू की बाढ़-कटान से प्रभावित गांव अखरी और अंगरौरा के ग्रामीणों से जाकर मिलीं। बेघर परिवारों से सरकारी मदद को लेकर जानकारी ली। महमूदाबाद में सीता इंटर कालेज के बच्चों भी उन्होंने मुलाकात की। इसके बाद बुधवार को उनका प्रोग्राम लहरपुर में बाढ़ पीड़ितों से मिलने का है।
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