मनोज सिंह शुमाली, लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय भाजपा के सहयोगी निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद के बयान से हलचल मची है। भीतर ही भीतर कुछ चल रहा है जो आने वाले 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों को लेकर फेरबदल के संकेत दे रहा है। इस बात को इसलिए भी बल मिला रहा है क्योंकि कुछ दिन पहले निषाद पार्टी ने दिल्ली में पार्टी का स्थापना दिवस मनाया। उसमें एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के सभी सहयोगी दलों को बुलाया।
दिल्ली में स्थापना दिवस मनाया, मगर BJP को नहीं बुलाया
मगर भाजपा को इसका निमंत्रण ही नहीं भेजा। सहयोगी दलों में तल्खी किस हद तक है इसे समझा जा सकता है। इतना ही नहीं संजय निषाद ने तो दो टूक कह डाला कि अगर भाजपा को सहयोगी दलों से कोई फायदा नहीं हो रहा है, तो गठबंधन खत्म कर दे। इसके बाद वह एक कदम और आगे बढ़ गए।
आरक्षण के लिए विधानसभा का घेराव करने का ऐलान और..
उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनकी आरक्षण की मांग नहीं मानी गई तो निषाद पार्टी यूपी विधानसभा का घेराव करेगी। यूपी सरकार में मंत्री सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने भी संजय निषाद की इस बात का समर्थन किया। अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर संजय निषाद भाजपा से इतना नाराज क्यों हैं? क्यों इतना उखड़े हुए हैं? क्या वह 2027 से पहले पाला बदलकर राजनीतिक हलचल मचा सकते हैं?
क्या BJP के निषाद नेताओं की बयानबाजी के चलते उखड़े..
दरअसल, राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा के सहयोगी दलों को यह लगने लगा है कि बीजेपी उनकी पार्टी के वोट बैंक वाले ओबीसी/दलित समाज में अपने नेताओं को तैयार कर रही है। निषाद पार्टी को इसलिए भी ऐसा लगा क्योंकि कि हाल में बीजेपी नेता जय प्रकाश निषाद, साध्वी निरंजन ज्योति के निषाद पार्टी को लेकर बयान आए थे। हालांकि, सूत्र बताते हैं कि बीजेपी अपने सहयोगी दलों को मनाने में जुट गई है।
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