समरनीति न्यूज, डेस्कः देश की सर्वोच्च अदालत ने आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर बुधवार को अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। साथ ही देश की सवा अरब की आबादी को कई मामलों में बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के आधार कार्यक्रम और इससे जुड़े 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि आधार संवैधानिक रूप से वैध है।
सुप्रीम कोर्ट की सरकार को दो टूक, बिना अदालत की अनुमति के बायोमीट्रिक डेटा किसी एजेंसी से साझा न करें
साथ ही कहा है कि सरकार डाटा सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अगुवाई में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 38 दिनों तक चली लंबी सुनवाई के बाद आधार अधिनियम की धारा 57 को रद्द कर दिया है।
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अदालत ने कहा है कि बैंक अकाउंट के लिए आधार कार्ड जरूरी नहीं है। साथ ही कहा है कि यूजीसी, नीट, सीबीएसई परीक्षाओं के लिए भी आधार अनिवार्य नहीं होगा। सरकार से सुप्रीम अदालत ने कहा है कि बिना अदालत की अनुमति के बायोमीट्रिक डेटा किसी भी एजेंसी के साथ साझा नहीं किया जाएगा।
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इसके साथ ही अदालत के फैसले के अनुसार आयकर अधिनियम की धारा 139 ए को बरकरार रखा गया है। कहा गया है कि प्राइवेट बैंक और निजी कंपनियों के लिए आधार जरूरी नहीं है। साथ ही कहा है कि मोबाइल कंपनी आधार कार्ड नहीं मांग सकती हैं।
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बताते चलें कि लंबी सुनवाई के बाद 10 मई को आधार मामले पर अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले में हाईकोर्ट के पूर्व जज के.एस. पुत्तास्वामी की याचिका सहित कुल 31 याचिकाएं दायर हुईं थीं।