
समरनीति न्यूज, लखनऊ: प्रख्यात साहित्यकार पद्मश्री डा. रामदरश मिश्रा का निधन हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। आचार्य रामदरश मिश्र के निधन से हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। 101 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने पुत्र शशांक मिश्र के द्वारका (दिल्ली) स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। शनिवार को उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार पालम स्थित मंगलापुरी श्मशान घाट किया गया।
150 से ज्यादा पुस्तकों का लेखन
गोरखपुर जिले के कछार अंचल के डुमरी गांव में जन्मे मिश्र ने अपने दीर्घ साहित्यिक जीवन में 150 से ज्यादा पुस्तकें लिखीं। उनकी रचनाओं में आम आदमी का संघर्ष, संवेदनाएं और यथार्थ की सजीव अभिव्यक्ति के दर्शन होते हैं। 1951 में प्रकाशित पहला कविता संग्रह ‘पथ के गीत’ से साहित्य जगत में कदम रखने वाले मिश्र के 15 से ज्यादा कविता संग्रह प्रकाशित हुए।
इसी वर्ष मिला था पद्म श्री सम्मान
उनकी गजल संग्रह ‘ऐसे में जब कभी’, ‘आम के पत्ते’, ‘तू ही बता ऐ जिंदगी’ और ‘हवाएं साथ हैं’ भी बेहद लोकप्रिय हैं। उन्हें साहित्यजगत में बड़े योगदान के लिए सरस्वती सम्मान, साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान, श्लाका सम्मान समेत कई प्रतिष्ठित सम्मान मिले। इसी वर्ष उन्हें साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान दिया गया था।
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