आशा सिंह, लखनऊ: योगी सरकारी ने आज बड़ा फैसला किया है। आउटसोर्सिंग सेवाओं को अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और जवाबदेह बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट बैठक हुई। इसमें कुल 15 प्रस्तावों को स्वीकृति मिली। इसमें कम्पनीज एक्ट-2013 के सेक्शन-8 के अंतर्गत उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड के गठन को मंजूरी मिलना भी शामिल रहा।
क्यों जरूरी था निगम का गठन
प्रदेश के वित्त एवं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश के विभिन्न विभागों और संस्थाओं में लंबे समय से आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से बड़ी संख्या में लोग काम कर रहे हैं। मगर शिकायतें मिल रही हैं कि उन्हें सरकार द्वारा स्वीकृत मानदेय का पूरा भुगतान नहीं मिलता। साथ ही ईपीएफ, ईएसआई जैसी अनिवार्य सुविधाएं का नियमित अंशदान भी कई बार एजेंसियों द्वारा नहीं दिया जाता। अनियमितताओं को खत्म करने के लिए ही इस निगम का गठन हो रहा है।
अब ऐसी होगी नई व्यवस्था
- कर्मचारियों का मानदेय 16 से 20 हजार रुपए प्रतिमाह होगा।
- आउटसोर्स कर्मचारियों को महीने में 26 दिन ही काम करना होगा।
- कर्मचारी 3 साल तक सेवाएं दे सकेंगे।
- कर्मचारियों का वेतन 1 से 5 तारीख तक सीधे उनके खातों में जाएगा।
- ईपीएफ और ईएसआई का अंशदान भी सीधे कर्मचारियों के खातों में जाएगा। पहले यह सर्विस प्रोवाइडर के पास जाता था।
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