मनोज सिंह शुमाली, बांदा: बांदा में सड़कों का चौड़ीकरण खूब चर्चा में हैं। सबसे ज्यादा चर्चा में जेल रोड के चौड़ीकरण की है। साढ़े 7 करोड़ के भारी-भरकम बजट से इस 2.6 किमी लंबी सड़क का चौड़ीकरण हो रहा है। इस सड़क के चौड़ीकरण को लेकर पीडब्ल्यूडी के संबंधित अधिकारियों की नियत पर सवाल उठ रहे हैं। चौड़ीकरण में नियमों को दरकिनार कर दिया गया है।
अधिकारियों में काम शुरू कराने में इतनी जल्दबाजी क्यों ?
चौड़ीकरण से पहले पोल-ट्रांसफार्मर हटवाने को किया नजरअंदाज
दरअसल, चौड़ीकरण शुरू करने से पहले विभागीय अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखाई। न तो इस रोड से बिजली के पोल शिफ्ट कराए गए, न ही ट्रांसफार्मर हटवाए गए। बल्कि यहां-वहां काम किया गया। कितना बजट स्वीकृत हुआ, कितना अवमुक्त, कितना जारी। इन बातों पर अधिकारी टालमटोल करते दिखाई दिए।
एक तरफ सड़क बनाई तो दूसरी तरफ छोड़ी, काम भी गुणवत्ताविहीन
अब बिजली के खंभे बिना हटाए चौड़ीकरण पूरा करने का दावा किया जा रहा है। हकीकत यह है कि बीच-बीच में कई जगहों पर सड़क बनाई ही नहीं गई। एक तरफ की सड़क बनाकर छोड़ दी गई। खेल स्टेडियम के सामने देखा जा सकता है।
2.6 किमी की सड़क का चौड़ीकरण और साढ़े 7 करोड़ का बजट
पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता अजय कुमार का कहना है कि बिजली विभाग को लगभग 1 करोड़ रुपए का बजट पोल-ट्रांसफार्मर शिफ्ट करने को दिया जा चुका है। अब सहायक अभियंता अशोक कुमार भी यही कह रहे हैं।
अब पोल हटवाने के लिए आधा-अधूरा काम बीच में ही रोका
उनका कहना है कि शुरुआती लगभग 1 किमी का काम पूरा हो चुका है। बाकी काम को खंभे हटने तक के लिए रोका गया है। सवाल यह है कि जब पोल हटे नहीं थे तो काम शुरू ही क्यों कराया? क्या आधे-अधूरे, टेड़े-मेड़े चौड़ीकरण से बचा सरकारी बजट ठेकेदार से वापस जमा कराया जाएगा?
अधिकारियों की मंशा काम से ज्यादा बजट ठिकाने लगाने की लग रही
बताते चलें कि कुल 2.6 किमी तक लंबी जेल रोड का चौड़ीकरण होना है। यह काम कनवारा बाइपास तक किया जाएगा। इसका कुल बजट साढ़े 7 करोड़ रुपए है। चर्चा है कि चौड़ीकरण के काम की गुणवत्ता से ज्यादा अधिकारियों को बजट खर्च करने की जल्दी रही।
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