Saturday, April 27सही समय पर सच्ची खबर...

हाल-ए-बांदाः पानी की बूंद-बूंद को तरसी जनता सड़क पर, बोली- ‘पानी नहीं तो वोट नहीं’

बांदा में पेयजल संकट से जूझ रहे लोग पानी नहीं तो वोट नहीं का बैनर लिए।

समरनीति न्यूज, लखनऊ/बांदाः बांदा की जनता सड़क पर उतर आयी है। नेताओं के लिए उनका एक ही संदेश है-‘पानी नहीं तो वोट नहीं’। नाराज लोग ‘पानी नहीं तो वोट नहीं’ का बैनर टांगकर अपना विरोध जता रहे हैं। बैनर में स्पष्ट लिखा है किसी भी दल का उम्मीदवार और उनके समर्थन इलाके में वोट मांगने न आए। बांदा की जनता पानी की समस्या के निस्तारण के लिए सैकड़ों बार जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन के दर पर पहुंचे लेकिन उनकी समस्या का निस्तारण नहीं हुआ। इसके लिए इन लोगों ने धरना-प्रदर्शन भी किया। फिलहाल चुनाव मतदान के ऐन मौके पर जनता भी इन्हें सबक सिखाने का ठान चुकी है। शहर के अधिकांश मोहल्लों में ‘पानी नहीं तो वोट नहीं’ का बैनर टांगकर विरोध दर्ज करा रहे हैं। लोगों का कहना है कि न जनप्रतिनिधियों को उनकी फिक्र है और न अधिकारियों को।

नहीं बदल रही नियति

बुंदेलखंड का पानी के लिए तरसना विडंबना ही। बदनसीबी और राजनैतिक अनदेखी के कारण बुंदेलखंड आज भी बेहाल है। दशकों से यहां की जनता पीने के पानी की समस्या से जूझ रही है लेकिन जनप्रतिनिधियों को इससे कोई सरोकार नहीं है। चुनावी शोर में यह मुद्दा कहीं न कहीं दब जाता है। जनता हर बार उम्मीद करती है कि सरकार बदलेगी तो इस समस्या से निजात मिलेगी लेकिन ऐसा होता नहीं है। सरकारें बदलती है लेकिन यहां के लोगों की नियति नहीं बदल रही। पानी की समस्या को लेकर न्यू मार्केट निवासी गुलरिया देवी, पंकज गुप्ता, संजय गुप्ता ने बताया कि यह समस्या आज की नहीं है। पूरे इलाके के लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से शिकायत के बाद भी उनके कानों पर जूं नहीं रेंगती है।

बांदा में पेयजल संकट से जूझ रहे लोग पानी नहीं तो वोट नहीं का बैनर लिए।

पानी की वजह से बढ़ रहा पलायन

बुंदेलखंड में हर साल पलायन का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है और इसे रोकने का कोई खास उपाय सरकारें नहीं कर रही हैं। और तो और यहां के जनप्रतिनिधियों के एंजेडे में यहां की समस्याएं भी नहीं है। यहां किसी पार्टी का एजेंडा राष्ट्रवाद व मोदी है तो किसी का जाति। कुल मिलाकर सत्ता में जाने के लिए किसी तरह यहां की जनता का साधना ही राजनीतिक दलों का मंतव्य है। बुंदेलखंड की अवहेलना को इस तरह भी समझा जा सकता है कि राजनीतिक दलों के एंजेडे में न ही पीने का पानी है और न ही रोजगार।

ये भी पढ़ेंः ..जब खतरनाक कोबरा से खेलीं प्रियंका गांधी, तो सपेरे भी रह गए अवाक और हुआ कुछ ऐसा..

यदि इन दोनों मुद्दों का समाधान कर दिया जाए तो पलायन खुद ब खुद रूक जायेगा। सुनील और फिरदौस ने कहा कि पेयजल संकट को लेकर जब शहर में ऐसे हालात हैं तो भला दूर इलाकों में क्या होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। इन लोगों ने कहा कि वोट का सपना देखने वाले नेता और ज्यादो वोटिंग से अपनी वाहवाही पाने की चाह वाले अधिकारी जनता की समस्या को लेकर गंभीर नहीं हैं। इलाके के लोगों का कहना है कि गुरूवार को उन लोगों ने नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन भी दिया है, अधिकारियों ने जल्द ही समस्या के निस्तारण का भरोसा दिलाया है। फिल्हाल कोई राहत नहीं मिली है।

बांदा के इंदिरा नगर जैसे कुछ पॅाश इलाकों में आता है ऐसा पानी।

नदियों की जलधारा सिकुडऩे की वजह से बढ़ रही है किल्लत  

बुंदेलखंड में चार नदियां बहती है, फिर भी लोग पीने के पानी के लिए तरसते हैं। गर्मी बढऩे के साथ ही नदियों की जलधारा सिकुडऩे लगती है। इस बार भी ऐसा ही है। केन नदी की जलधारा सिकुडऩी शुरु गई है। अवैध खनन की वजह से नदी की जलधारा नाले जैसी बह रही है। चिल्ला से लेकर नरैली तक जगह-जगह केन नदी की जलधारा रोककर और अस्थाई पुल बनाकर बालू निकाली जा रही है। पिछले छह महीने से दिन रात बड़ी-बड़ी मशीने नदी का दोहन कर रही हैं और बालू माफिया पर प्रशासन किसी तरह से कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। यहीं हाल अन्य नदियों का भी है। बलखंडीनाका के प्रदीप यादव, राजू, दुलारी, भगवतिया और रानी आदि महिलाओं व पुरुषों का कहना है कि इलाके में जबतक पेयजल संकट है वे लोग वोट नहीं डालेंगे।

पेयजल सप्लाई करने वाले इंटेकवेलों तक नहीं पहुंच रहा पानी

अवैध खनन की वजह से मंडल मुख्यालय में पेयजल सप्लाई करने वाले इंटेकवेलों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है, जिसकी वजह से लोगों को बड़ी मुश्किल से एक वक्त का पानी मयस्सर हो पा रहा है। लोगों को अपनी जरूरते पूरी करने के लिए दूरदराज से पानी लाना पड़ रहा है। वहीं बलखंडीनाका इलाके के महबूब खान, पप्पू खां, जावेद ने कहा कि पेयजल संकट इस इलाके की बड़ी समस्या है लेकिन जनप्रतिनिधि इधर आकर नहीं झांकते हैं और अधिकारियों का यह हाल है कि बार-बार शिकायत के बाद भी सुनते नहीं हैं।

पीने लायक नहीं है बुंदेलखंड की नदियों का पानी 

नंवबर 2018 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जांच में पाया गया था कि बंदेलखंड में बहने वाली चारों नदियों यमुना, केन, बेतवा और मंदाकिनी का पानी अब इंसानों के पीने लायक नहीं रहा। रपट में इन नदियों का पानी जहरीला पाया गया था। इन नदियों का पानी पीने से इंसानों को कई बीमारियां घेर सकती हैं। बुंदेलखंड की बह रही चारों नदियों में टोटल डिजॉल्वड सॉलिड (टीडीएस) की मात्रा 700 से 900 पॉइंट प्रति लीटर और टोटल हार्डनेस (टीएच) 150 मिलीग्राम प्रति लीटर से ऊपर पहुंच गया था।

ये भी पढ़ेंः बांदा शहर में पेयजल संकट से परेशान लोगों ने किया चुनाव बहिष्कार का ऐलान, बैनर लेकर उतरीं महिलाएं..