समरनीति न्यूज, बांदाः सरकार भले ही ओवरलोडिंग पर लगाम कसने के दावे कर रही हो। लेकिन बुंदेलखंड के बांदा जिले में आरटीओ विभाग की मिलीभगत से बालू माफियाओं के ट्रक ओवरलोडिंग की सभी हदें पार कर रहे हैं। वह भी खुलेआम। सूत्रों की माने तो बेरोक-टोक ओवरलोडिंग चलाने के लिए जरूरत बस इस बात की है कि ओवरलोड चलने वाले वाहन का नंबर और पता बांदा के आरटीओ विभाग के खास रजिस्टर में दर्ज होना चाहिए। इसके बाद कितना भी ओवरलोड ले जाइये, कोई कुछ नहीं कहने वाला। जरूरत पड़ने पर जब सरकार को दिखाने की जरूरत पड़ती है तो कार्रवाई के नाम पर मध्यप्रदेश से आने वाले बालू के ट्रकों को निशाना बनाया जाता है और कार्रवाई करके जुर्माना वसूल लिया जाता है। ताकि शासन को लगे कि आरटीओ विभाग अपना काम कर रहा है।
बालू माफियाओं और आरटीओ विभाग की मिलीभगत, सरकार को रोज लाखों के राजस्व का लग रहा चूना
कानून की धज्जियां कैसे उड़ाई जाती हैं। अगर देखना हो तो बुंदेलखंड चले आइये। सूत्र बताते हैं कि खनन माफियाओं और आरटीओ विभाग की मिलीभगत से ओवरलोडिंग का ऐसा खेल खेला जा रहा है कि देखने वाले भी दंग रह जाएं। लेकिन विभाग को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। चेकिंग के नाम पर कारर्वाई भी उन्हीं जगहों पर होती है या उन्हीं वाहनों के खिलाफ होती है जिनपर यूपी के बालू कारोबारी चाहते हैं। खुलेआम ओवरलोड वाहन सड़कों पर दौड़ते देखे जा सकते हैं। इलाकाई लोगों की माने तो पूर्ववर्ती सरकारों में भी हालात ऐसे नहीं थे जो आज हो गए हैं। ओवरलोडिंग की सारी हदें पार होती नजर आ रही हैं। सड़कें बर्बाद हो चुकी हैं और सरकार को राजस्व की भारी क्षति हो रही है लेकिन न कोई कहने वाला है और न ही कोई इनको रोकने वाला।
बालू माफियाओं के इशारे चलता जिले का आरटीओ विभाग, सड़कों पर खुलेआम दौड़ रहे ओवरलोड बालू के ट्रक
बीच-बीच में खास वाहनों पर ही प्रशासन का चाबूक चलता है। किन वाहनों के खिलाफ ओवरलोडिंग की कार्रवाई होनी है इसका भी वाकयदा हिसाब रखा जाता है। सूत्रों की माने तो मध्यप्रदेश से आने वाले ओवरलोड वाहनों को आरटीओ विभाग जानबूझकर कार्रवाई की जद में लाता है। एमपी से आने वाले बालू खनन के वाहनों को ओवरलोड होने पर या दूसरे कागजातों की कमी दिखाकर पकड़ लिया जाता है जबकि यूपी यानी बांदा में वैध और अवैध खनन का बालू ढोने वाले ट्रकों को ओवरलोडिंग की हदें पार करने की पूरी छूट है। इसका कारण है विभाग औऱ बालू माफियाओं के बीच मिलीभगत। ऐसा करने से अधिकारी भी कार्रवाई का चोला ओड़कर अपनी पीठ तो थपथपाते ही हैं साथ ही सरकार की नजरों में भी अपने नंबर बढ़ा रहे हैं। अारटीओ विभाग-बालू माफियाओं और प्रशानस के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से खेल इस समय बांदा के साथ-साथ आसपास के जिलों में भी चल रहा है। उधर, जब एआरटीओ (बांदा) से बात करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका।