समरनीति न्यूज, महोबाः पानी को लेकर चर्चा में रहने बाला बुंदेलखंड अब खुद पानी तलाशने की पहल करता नजर आ रहा है। खासकर पानी की समस्या का सबसे ज्यादा सामना करने वाला महोबा। जी हां, महोबा के लोगों ने खुद ही पातालीय पानी की तलाश शुरू कर दी है। सरकार जब करेगी तब करेगी, की बात मानते हुए महोबा के गोरखगिरी पर्वत पर स्थित ऐतिहासिक सरोवर की खुदाई करके कुछ लोग दूसरों के लिए नजीर पेश कर रहे हैं।
मिसालः सरकार के भरोसे न रहकर समाजसेवी तारा पाटकर के नेतृत्व में लोग खुद आए आगे
अब उनके नेतृत्व में बच्चे-बूढ़े और सभी वर्गों के लोग हाथों में फावड़ा, कुदाल और तसले लेकर सुबह-सुबह ही बिना बुलाए पहाड़ पर पहुंच जाते हैं। ये सभी लोग खुदाई के काम में खुलकर पूरी मेहनत और लगन से जुट जाते हैं। काम में लगे अनुराग त्रिपाठी, अधिवक्ता कृष्ण गोपाल दिवेदी, प्रशांत गुप्ता, सौरभ त्रिपाठी, अनिल पुरवार और पंकज दीक्षित का कहना है कि महोबा आल्हा-उदल वीर भूमि और हमारी मातृ भूमि है। इसलिए इसको संवारना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि वे खुद ऐतिहासित तालाब की खुदाई करके जलश्रोतों को जीवित करेंगे। ताकि यहां के लोगों पानी के लिए दूसरों पर निर्भर न होना पड़े।
आला ऊदल की वीर भूमि पर गोरखगिरी पर्वत पर स्थित एतिहासिक सरोवर में पानी के लिए खुदाई
लोगों का कहना है कि गोरखगिरी पर्वत मात्र एक पर्वत नहीं है बल्कि यह उर्जा का बड़ा केंद्र भी है। यहां से कई धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी हैं। कहा जाता है कि नाथ संप्रदाय के गुरू गोरखनाथ और उनके सातवें शिष्य सिद्धो दीपक नाथ ने इसी पर्वत पर तपस्या की थी। इस कारण यहां जाने से एक अजीब उर्जा का एहसास होता है। कुछ लोग यह भी बताते हैं कि त्रेता युग में वनवास के दौरान भगवान राम और सीता माता के साथ लक्ष्मण जी ने यहां रुककर समय बिताया था।