समरनीति न्यूज, बांदा: जिस केन नदी को बांदा की जीवनदायिनी कहा जाता है, जिसके तट पर पूजा आरती तक का प्रशासन ने प्रावधान शुरू कराया था, ताकि लोग उसकी उपयोगिता को समझ सकें। अब उसी पूज्यनीय केन नदी को गंदा करने का पाप नगर पालिका ने बेशर्मी से कर डाला। हालांकि, पालिका इस गैरजिम्मेदाराना रवैये पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने सख्त कार्रवाई की है।
केन नदी में शहर के गंदे नालों का पानी छोड़ने का मामला
एनजीटी ने पालिका पर 2.60 करोड़ का जुर्माना ठोका है। साथ ही चेतावनी दी है कि दोबारा ऐसी गलती मिली तो इससे बड़ी कार्रवाई होगी। नोटिस देकर जवाब भी तलब किया है। दरअसल, शहर का गंदा पानी बिना जैविक प्रक्रिया से साफ किए नालों के रास्ते केन नदी में छोड़ा जा रहा है।
बांदा शहर और आसपास के लिए जीवनदायिनी केन नदी
शहर की जीवनदायिनी केन नदी आसपास के गांवों-कस्बों के लिए भी पीने का पानी उपलब्ध कराती है। ऐसे में नगर पालिका का यह कारनामा किसी बड़े अपराध जैसा है।
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एनजीटी ने जुर्माने की कार्रवाई करते हुए नगर पालिका परिषद को निर्देश दिया है। कहा है भविष्य में सफाई के बाद ही नालों का पानी नदी में छोड़ा जाए। इस कार्रवाई से नगर पालिका में हड़कंप मच गया है।
शहर के 31 वार्डों के घरों-प्रतिष्ठानों का गंदा पानी नालों से..
शहर के 31 वार्डों के घरों, होटलों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से निकलने वाला गंदा पानी कुल 150 से अधिक नालों से होकर केन तक पहुंचता है। इनमें प्रमुख पंकज नाला और निम्नी नाला है जो सीधेतौर पर केन नदी में पानी ले जाता है। हालांकि, नगर पालिका का दावा है कि गंदा पानी जैविक प्रक्रिया के बाद ही केन नदी में छोड़ा जाता है। लेकिन बताया जा रहा है कि जांच में इसकी पुष्टि नहीं हुई है। इसीलिए यह कार्रवाई की गई है। कार्रवाई से खलबली मची हुई है।
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