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बांदा का ‘शिव कृष्ण अस्पताल’: सत्ता-शराब-अफसरशाही और दौलत का गठजोड़

Banda ADM Rajesh Verma's photo holding liquor bottle goes viral on social media-uproar

समरनीति न्यजू, बांदा: बांदा का शिव कृष्ण अस्पताल इस समय काफी चर्चा में है। यह अस्पताल सत्ता-शराब-अफसरशाही और दौलत के गठजोड़ का जीता-जागता नमूना है। दरअसल, एडीएम राजेश वर्मा के हाथ में शराब और साथ में अस्पताल संचालक की फोटो जैसे ही वायरल हुई, इनके काले कारनामों की परतें भी उधड़ने लगीं।

फोटो से खुलीं काले कारनामों की परतें

बचाव में उतरे अस्पताल संचालक का कुतर्क भी सामने आया। लेकिन असलियत कहां छिपने वाली थी।

'Samarneeti News' had exposed corruption in Shivkrishna Hospital two years ago

बस इसके बाद परत-दर-परत अस्पताल से अस्पताल के निर्माण से जुड़े चौंकाने वाले खुलासे सामने आने लगे। महिला रोग विशेषज्ञ डाॅ. संगीता सिंह के इस अस्पताल के संचालक उनके पति अरुणेश पटेल हैं।

'Samarneeti News' had exposed corruption in Shivkrishna Hospital two years ago

एडीएम के साथ उनका कार में बैठे शराब की बोतल वाला फोटो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद अस्पताल को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं। अस्पताल में एडीएम की पत्नि के नाम से पार्टनरशिप-रिश्वतखोरी के जरिए अवैध निर्माण को लेकर सवाल उठने लगे। बचाव में संचालक अरुणेश पटेल ने प्रेस कांफ्रेस भी की।

किसकी रही सरपरस्ती..?

उन्होंने कहा कि एडीएम की पत्नी सोनी वर्मा अस्पताल के डायग्नोस्टिक सेंटर में 30% की पार्टनर हैं, लेकिन सच्चाई छिपती नहीं है। अब सवाल उठ रहा है कि सील हो चुके इस अस्पताल का निर्माण क्या पार्टनरशिप के लिए कानून ताक पर रखकर पूरा कराया गया।

'Samarneeti News' had exposed corruption in Shivkrishna Hospital two years ago

सूत्र बताते हैं कि इस पूरे मामले में 42 लाख की रिश्वतखोरी चली।  बिना सत्ता की सरपरस्ती के इतना बड़ा खेल संभव नहीं है। ऐसे में यह भी सवाल उठ रहा है कि सरपरस्ती किसकी रही।

शासन जांच करा ले तो निपट जाएंगे कई तत्कालीन अफसर

ऐसे में अस्पताल की सील कैसे खुली और कैसे यह बनकर तैयार हुआ। यह बेहद गंभीर जांच का विषय है। क्या तत्कालीन उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं थी या किसी बड़े नेता के दवाब में चुप रहे।

Banda : Huge hospital on green belt, construction inside after being sealed !
सील अस्पताल (फाइल फोटो)

लोगों का तो यहां तक कहना है कि शासन इसकी उच्चस्तरीय जांच करा ले तो कई बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई होना तय है। बताते चलें कि शिव कृष्ण अस्पताल के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अपना दल (एस) की नेता एवं केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल थीं।

न कंपाउंडिंग और बेसमेंट पार्किंग, ना ही नक्शे का पता

कोई भी व्यक्ति अस्पताल को देखकर शिव कृष्ण अस्पताल के निर्माण में हुए भ्रष्टाचार को आसानी से समझ सकता है। अस्पताल भवन की न कंपाउंडिंग है और न बेसमेंट पार्किंग।

 

Banda : Huge hospital on green belt, construction inside after being sealed !

जब कि सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए सख्त गाइड लाइन जारी कर रखी है। एक पूर्व अधिकारी एवं सूत्रों का यह भी कहना है कि सील करते समय यह बात भी सामने आई थी कि अस्पताल को निर्माण में सड़क की जमीन भी घेरी गई है।

बिना NOC और नक्शा कैसे बन गया अस्पताल..?

'Samarneeti News' had exposed corruption in Shivkrishna Hospital two years ago

सबसे बड़ी बात तो यह है कि इन हालात में नक्शा पास हो नहीं सकता, फिर इतना भारी-भरकम निर्माण हुआ कैसे? संबंधित विभागों से एनओसी कैसे मिल गई। मिली या नहीं। नहीं मिली तो अस्पताल में काम कैसे चालू कर दिया गया? यह मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ जैसी बात है।

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