Friday, April 19सही समय पर सच्ची खबर...

इकलौती बेटी ने दी एएसपी पिता राजेश साहनी को मुखाग्नि

लखनऊ के भैंसाकुंड बैकुंठ धाम में एएसपी राजेश साहनी को मुखाग्नि देती उनकी इकलौती बेटी श्रेया व मौजूद अन्य परिजन।

लखनऊ स्थित भैंसाकुंड वैकुंठधाम में हुआ अंतिम संस्कार 

लखनऊः  बीते दिवस अपने दफ्तर में एंटी टैरेरिस्ट स्कवायड यानी एटीएस के एडिनल एसपी राजेश साहनी ने खुद को गोली मारकर सुसाइड कर ली थी। आज उनका अंतिम संस्कार लखनऊ के भैंसाकुंड वैकुंठ धाम में उनकी इकलौती बेटी श्रेया ने उनको मुखाग्नि देकर किया। इस दौरान उनके परिजन और अन्य जानने वाले बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

बीते दिवस उनकी मौत की खबर से पूरे महकमे में हड़कंप मच गया था जो लोग उनको करीब से जानते थे उनको तो पहले इस घटना की सच्चाई पर यकीन ही नहीं हुआ। राजेश साहनी काफी तेज-तर्रार होने के साथ ही शांत दिमाग के पुलिस अधिकारी माने जाते थे लेकिन 13 साल पहले हुई लखनऊ की एक घटना हमेशा उनकी याद दिलाएगी।

13 साल पहले कैसरबाग में वाहन चैकिंग के दौरान सपा के बेलगाम कार्यकर्ताओं को सिखाया था सबक

दरअसल, वर्ष 2005 में 30 मई का दिन था। एएसपी साहनी उस समय सीओ कैसरबाग हुआ करते थे और उस दिन वह कैसरबाग बस अड्डे पर वाहनों की चैकिंग करा रहे थे। इसी दौरान एक सपा का झंडा लगी संदिग्ध जीप ट्रैफिक रुल्स को तोड़ती हुई उधर आई। सीओ साहनी ने संदिग्ध जीप को रुकने का इशारा किया। जीप तो रुकी लेकिन उसे चला रहे युवक ने खुद को एक बड़े सपा नेता का दत्तक पुत्र बताते हुए पुलिस को हनक दिखानी शुरू कर दी। सीओ साहनी स सबसे बिना प्रभावित हुए उससे नीचे उतरने को कहने लगे। युवक ने उतरने की बजाये जीप को पुलिस अधिकारी राजेश साहनी को कुचलने की कोशिश करते हुए  जीप को आगे बढ़ा दिया।

राजनीतिक दवाब में न झुकने, तेज-तर्रार कार्यशैली और शांत दिमाग शख्शियत थी पहचान

साहनी ने अपनी जान की परवाह न करते हुए जीप का बोनट पकड़ लिया और उसपर लटक गए। इतना ही नहीं लटके हुए ही उन्होंने वायरलेस से मामले की जानकारी कंट्रोल रूम को दी। जीप चला रहे युवक ने जीप को मुख्यमंत्री आवास की ओर लेकर भागने की कोशिश की लेकिन बाद में पुलिस से घिरता हुआ देख जीप को एसएसपी के कार्यालय में ले जाकर खड़ा कर दिया। बाद में पुलिस ने चारों को पकड़कर जेल भेज दिया था। इस पूरे वाक्य में राजेश साहनी की बाहदुरी और राजनीतिक दबाव में न आने की उनकी दृढ़ता का पता चला। यह घटना आज भी याद की जाती है।