
मनोज सिंह शुमाली, ब्यूरो : 2022 में दोबारा प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही भारतीय जनता पार्टी के लिए आज बुधवार को बुंदेलखंड से अच्छी खबर आ रही है। बादा-हमीरपुर विधान परिषद की सीट भी बीजेपी के खाते में निर्विरोध जुड़ गई। इस बड़ी जीत में बुंदेलखंड की राजनीत में बड़े गेम चेंजर बनकर उभर रहे बीजेपी के बांदा सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी की अहम भूमिका है। या यह कहिए कि प्रकाश द्विवेदी ने अपने एक मास्टर स्ट्रोक से पूरा का पूरा विपक्ष धड़ाम कर दिया। मामले को लेकर काफी चर्चा हो रही है।
रणनीति : बीजेपी प्रत्याशी के पीछे हाथ बांधे खड़े नजर आए सपा प्रत्याशी आनंद त्रिपाठी
दरअसल, विधानसभा में सपा को चित्त करने के बाद बीजेपी के लिए विधान परिषद की लड़ाई अहम है। ऐसे में बांदा की सीट खास मायने रखती है। यहां से पूरे बुंदेलखंड की राजनीति प्रभावित होती है। एक तरफ ऐतिहासिक नगरी झांसी है तो दूसरी ओर संगम तट प्रयागराज।

विधायक की रणनीति ने रातों-रात बदल दिया पूरा खेल, विपक्ष हुआ पूरा साफ
बीच में भगवान राम की कर्मभूमि चित्रकूट। इसके बीचों-बीच स्थित ऋषि बामदेव की नगरी बांदा में सदर सीट से लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कराने वाले प्रकाश द्विवेदी पार्टी के लिए संकटमोचक बनकर आते हैं। यह उनकी रणनीति है कि कुछ दिन पहले सपा से नामांकन कराने वाले आनंद त्रिपाठी बुधवार को बीजेपी प्रत्याशी जितेंद्र सेंगर के पीछे हाथ बांधे खड़े नजर आए।

कोरोना संकट में एक काॅल पर लंच-राशन की व्यवस्था से चर्चा में आए थे विधायक
दरअसल, कोरोना संकट की पहली और दूसरी लहर में एक फोन काल पर गरीब परिवारों के घरों तक लंच पैकेट-राशन पहुंचाने की व्यवस्था शुरू प्रकाश चर्चा में आए। राजनीतिक की गहरी समझ रखने के कारण अब गेम चेंजर बनकर उभर रहे हैं। एमएलसी चुनाव से पहले उन्होंने पंचायत चुनाव में मास्टर स्ट्रोक चला था।
जिला पंचायत में भी चला था मास्टर स्ट्रोक, बड़ी हार के बावजूद लहराया था भगवा
तब बांदा की 30 जिला पंचायत सीटों में बीजेपी मात्र 7 पर जीती थी। संगठन के जिलास्तरीय धुरंधर हाथ खड़े कर चुके थे। प्रदेश अध्यक्ष व क्षेत्रीय अध्यक्ष को बांदा में आकर डेरा जमाना पड़ा था। तब भी सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी ने ही अपनी रणनीति से रातों-रात पूरा खेल बदलते हुए जिला पंचायत में भगवा लहराया था। आज एमएलसी चुनाव में फिर पार्टी के लिए जीत की राह बनाई। हालांकि, वह इसके लिए पूरा श्रेय पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को ही देते हैं।
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