समरनीति न्यूज, बांदा : बुंदेलखंड और हरियाली। यह ऐसे दो शब्द हैं जिनका नाता हमेशा से अधूरा सा है। बीते 10 वर्षों में बुंदेलखंड के बांदा को सरकार ने करोड़ों का बजट देकर हरा-भरा बनाने के गंभीर प्रयास किए। लेकिन वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के मिलीभगत के चलते सरकारी प्रयास बेकार साबित हुए। बुंदेलखंड में हरियाली का सपना कभी पूरा नहीं हो सका। यहां मैदान के मैदान खाली पड़े हैं।
अधिकारियों की बातें तो बड़ी-बड़ी, मगर धरातल पर काम नहीं
हरियाली के नाम पर बरसात में मैदानों में घास तो दिखेगी, लेकिन असल हरियाली नजर नहीं आती। पेड़ भी उतनी संख्या में नजर नहीं आते, जितने उगाने के दावे किए जाते हैं। विभागीय सूत्र बताते हैं कि इस वर्ष सरकार ने पौधरोपण के लिए कई करोड़ का बजट दिया है, लेकिन जिले में पौधरोपण अभियान अबतक रफ्तार नहीं पकड़ सका है। इसकी वजह सभी की समझ में आ रही है।
हर साल कागजों में सिमटकर रह जाते है वृक्षारोपण अभियान
सूत्रों का कहना है कि कई साल से वन विभाग में एक ही जगह जमे कर्मचारी और अधिकारी इतने घाघ हो चुके हैं कि सरकार बजट को कैसे किनारे लगाना है, यह समझते हैं। वन विभाग के उच्चाधिकारियों का हाल यह है कि उनके दावे और बातें तो बड़ी-बड़ी हैं, लेकिन जमीनी धरातल पर उनका काम दिखाई नहीं दे रहा।
मंडल के मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने किया था अभियान का शुभारंभ
बीती 20 जुलाई को बांदा के पैलानी में मंडल के प्रभारी मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने एक कार्यक्रम में जिले में पौधरोपण अभियान का शुभारंभ किया था। जितनी जोरशोर से शुभारंभ हुआ, समय के साथ अभियान ठंडा पड़ गया। सिंतबर आने में कुछ ही घंटे बाकी हैं, लेकिन जिले में कहीं पौधरोपण के लिए जागरूकता की अलख जताते विभाग दिखाई नहीं दे रहा।
सितंबर आते-आते कागजों में ही सिमट गया है पूरा अभियान
वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से सिर्फ कागजों में अभियान चल रहा है। अधिकारियों की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। साथ में उन बाबुओं पर भी सवाल उठ रहे हैं जो कई वर्षों से बांदा में ही जमे हुए हैं। ऐसे में सरकार की छवि को बांदा का वन विभाग जमकर खराब कर रहा है। सितंबर आते-आते पौधरोपण अभियान पूरी तरह से ठंडा पड़ता नजर आने लगा है। सूत्रों की माने तो बजट का बंटाधार करने के लिए कागजी खानापूर्ति की जा रही है। उधर, इस संबंध में अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया। लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
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