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बांदा हार्पर क्लब के पूर्व सचिवों ने DM को फिर सौंपा शिकायतीपत्र, कहा-गोलमोल जवाब से बच रहे..

Investigation into scam in Banda Harper Club begins

समरनीति न्यूज, बांदा : बांदा हार्पर क्लब में अनिमितता के आरोपों का मामला फिर डीएम नगेंद्र प्रताप की चौखट पर पहुंचा है। पूर्व सचिवों ने आज सोमवार को दोबारा शिकायतीपत्र  सौंपा। इसमें वित्तीय अनियमितता, बिना टेंडर किराय पर जिम चलवाने व सदस्यता शुल्क, स्टोर के सामान का जिक्र है।

सोमवार को एक ओर शिकायतीपत्र डीएम को सौंपा

बताते चलें कि इससे पहले भी पूर्व सचिवों और एक दर्जन से ज्यादा सदस्यों ने आरोप लगाए थे। तब भी जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए थे। जांच में समिति ने जवाब दिए हैं, उसपर पूर्व सचिवों ने सवाल उठाए हैं। पूर्व सचिवों का कहना है कि गोलमोल जवाब देकर समिति के लोग बचना चाह रहे हैं।

बोले, न जिम का किराया बताया, न सदस्यता की फीस

पूर्व सचिवों ने अपनी शिकायत में कहा है कि जो जवाब दिए गए हैं उनमें न तो सदस्यता शुल्क का खुलासा है। न ही जिम के किराय को लेकर जानकारी दी गई है। पूर्व सचिव अरुण अवस्थी और वासिफ जमां ने दर्जनभर सदस्यों के साथ शिकायती पत्र सौंपा है।

Another complaint to DM regarding irregularities in Banda Harper Club

इस पत्र में डीएम को अवगत कराया गया है कि हार्पर क्लब सचिव द्वारा 17 सितंबर को आम सभा की बैठक की सूचना दी गई है। इसमें आम सभा का कोई एजेंडा प्रस्तुत नहीं किया गया है। एजेंडा तय न होने से सदस्यों में अनिश्चितता व विभिन्न अफवाहें हैं।

2016 में हुई एजीएम के फैसलों का अनुपालन नहीं

यह भी कहा गया है कि क्लब के नोटिस बोर्ड पर 45 नए सदस्यों की सूची जारी हुई है। इसमें यह नहीं बताया है कि उनकी आजीवन सदस्यता फीस कितनी होगी। सदस्यता को लेकर ‘दैनिक समाचार पत्र’ में प्रकाशित विज्ञापन में भी सदस्यता शुल्क नहीं खोला गया था।

Scam in Banda Harper Club

पूर्व सचिवों ने कहा है कि आजीवन सदस्यता शुल्क छिपाया जा रहा है। क्लब की नियम संख्या 5 ‘स’ में आजीवन सदस्यों के लिए 11000 रुपए की राशि तय थी, जिसे बाद में 2016 की एजीएम की मीटिंग में बढ़ाकर 21 हजार कर दिया गया। इसका आजतक अनुपालन नहीं किया गया।

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पूर्व सचिवों का कहना है कि 8 साल बाद होने वाली आम सभी की बैठक को लेकर काफी गर्मा-गर्मी है। मांग की गई है कि वह किसी वैधानिक प्रतिनिधि की उपस्थिति में सभा कराएं। (पढ़ना जारी रखें..)

घोटाले से निकला जिम : क्या बांदा हार्पर क्लब की सरकारी बिल्डिंग को किराये पर देने की होगी जांच?

कहा गया है कि क्लब में जिम खोलने की अनुमति कब दी गई? जिम का अनुबंध व उससे प्राप्त राशि कब-कब किस खाते में जमा की गई? साथ ही सरकार संपत्ति को किराय पर देने का अधिकार कैसे प्राप्त हुआ, यह जवाब में नहीं बताया गया है।

पूर्व सचिवों ने कुछ ऐसे नए आरोप भी लगाए

डीएम को दिए पत्र में कहा है कि समिति बताए कि क्लब को यूजर चार्ज के तौर पर किस कार्यक्रम में कितनी राशि मिली है। क्लब के स्टोर का निष्पक्ष रूप से सत्यापन कराया जाए। स्टोर का सामान इधर-उधर हुआ है, तो कहां गया? क्लब की बिल्डिंग पुरानी और मरम्मत योग्य है, छत पर कबाड़ पड़ा है उसके लिए निलामी प्रक्रिया अपनाई जाए। कुल मिलाकर एक बार फिर हार्पर क्लब चर्चा में आ गया है।

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