समरनीति न्यूज, बांदाः जैविक खेती न सिर्फ आम इंसान के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि इससे दूसरे जीवों और मृदा को भी फायदा पहुंचता है। इतना ही नहीं जैविक खेती में मृदा को सजीव मानकर कृषि क्रियाएं की जाती हैं। वहीं दूसरी ओर रासायनिक उर्वरकों एवं पेस्टीसाइड से मृदा के भीतर पाए जाने वाले लाभकारी जीव भी प्रभावित होते हैं। ये बातें आज शनिवार को यहां बांदा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. यूएस गौतम ने कहीं। वह आज यहां विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय आनलाइन ”जैविक खेती-अजीविका सुरक्षा एवं वैश्विक मांग को पूरा करने के लिये एक स्थायी दृष्टिकोण” विषयक पर आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
आनलाइन दो दिवसीय वेबीनार का आयोजन
डा. गौतम ने कहा कि विश्व में भारत जैविक खेती में नौवें स्थान पर है, वहीं कुल किसानों की संख्या के हिसाब से देखा जाए तो पहले स्थान पर है। डा. गौतम ने कहा कि बुंदेलखंड में जैविक खेती की अपार संभावनाएं हैं। कहा कि इसी महत्व को समझते हुए विश्वविद्यालय की ओर से बुंदेलखंड के सभी सातों जिलों में जैविक कारीडोर कार्यक्रम चला रहे हैं।
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इसमें कुल 84 गांवों में जैविक खेती के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा है। इस दौरान राष्ट्रीय वेबिनार के आयोजक अध्यक्ष डा. नरेंद्र सिंह सह निदेशक प्रसार ने सभी अतिथियों का आनलाइन स्वागत किया। कार्यक्रम के सदस्य सचिव डा. अभिषेक कालिया सहायक प्राध्यापक व डा. पंकज कुमार ओझा ने सभी वक्ताओं का प्रतिभागियों से परिचय कराया। साथ ही कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया। इस दौरान बीके गुप्ता भी मौजूद रहे।
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