विश्व जनसंख्या दिवस : शहर की बढ़ती आबादी निगल रही है मूलभूत सुविधाएं
समरनीति डेस्कः शहरों में तेजी से बढ़ती आबादी अब चिंता का सबब बनती जा रही है. ऐसे में बात करें कानपुर की तो पिछले 1 दशक में कानपुर की आबादी 2 गुनी से ज्यादा हो चुकी है. मौजूदा समय में कानपुर की आबादी 50 लाख के आंकड़े को भी पार कर चुकी है.
भटकना पड़ता है छोटी-छोटी जरूरतों के लिए
जनसंख्या विस्फोट के चलते कानपुराइट्स अब मूलभूत सुविधाओं के लिए भी भटकने लगे हैं. सड़कों पर टै्रफिक का बोझ बढ़ता जा रहा है, हरियाली कम हो रही है और प्रदूषण बढ़ रहा है. कूड़े और गंदगी के ढेर में शहर तब्दील हो चुका है. हर दिन 500 नए वाहन सड़कों पर उतर रहे हैं. सरकारी हॉस्पिटल्स में मरीजों की संख्या इस कदर बढ़ गई है कि 11,000 की आबादी पर 1 डॉक्टर है, जबकि 1000 की आबादी पर 1 डॉक्टर होना चाहिए. सालाना बच्चों के पैदा होने की दर कुल आबादी का 11 परसेंट तक हो गई है.
प्रदूषण पर नहीं लग रहा है लगाम
शहर में बढ़त...
