
बदहाल बुंदेलखंडः ”जै दिन जैठ चले पुरवाई, तै दिन…।”, अगर यह बुंदेली कहावत सच है तो..
समरनीति न्यूज, बांदाः बुंदेलखंड में एक पुरानी कहावत है कि ''जै दिन जैठ चले पुरवाई, तै दिन सावन धूल उड़ाई,'' अगर यह कहावत सच है तो बुंदेलखंड में 98 फीसद मानसून के तमाम सरकारी अनुमान और दावे झूठे साबित हुए हैं और आगे भी इनके सच होने की उम्मीद संभावना नजर नहीं आ रही है। यही वजह है कि एक बार फिर बुंदेलखंड का किसान बर्बादी की कगार पर खड़ा है और सूखे की आहट सुनाई पड़ने लगी है। खरीफ की फसल बर्बाद होना लगभग तय माना जा रहा है और किसानों की उम्मीदें भी अब दम तोड़ती नजर आ रही हैं। ऐसे में किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं। वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक अधिकारी अभी यह मानने को तैयार नहीं कि खरीफ की फसल पर सूखे की मार पड़ सकती है।
मात्र 5 फीसद हुई है खेतों में धान की बुआई, बारिश के बिना बेड़न जरियाई, किसानों की चिंता बढ़ी
दरअसल, प्रशासनिक दावे थे कि बुंदेलखंड में 98 फीसद मानसून होगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और...