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समरनीति स्पेशल

वीर गाथाओं की बुनियाद पर खड़ी ऐतिहासिक धरोहर है बांदा का अपराजित कालिंजर किला

वीर गाथाओं की बुनियाद पर खड़ी ऐतिहासिक धरोहर है बांदा का अपराजित कालिंजर किला

Today's Top four News, समरनीति स्पेशल
समरनीति स्पेशलः   बांदाः बुंदलेखंड के बांदा जिले में विंध्याचल की पहाड़ियों पर 700 फीट की उंचाई पर स्थित कालिंजर का किला आज भी खुद में सैकड़ों ऐतिहासिक वीर गाथाओं, युद्धों और आक्रमणों की अनसुनी-अनकही कहानियों और शेरशाह सूरी, महमूद गजनवी, कुतुबुद्दीन ऐबक, और हुमायू जैसे आक्रांताओं के किस्से खुद में समेटे हुए हैं। किले के चप्पे-चप्पे से आज भी युद्ध, कला और धर्म के अवशेषों को महसूस किया जा सकता है।  10वीं शताब्दी तक कालिंजर दुर्ग यहां के कई राजवंशों के अधीन रहा   इतिहास बताता है कि सामरिक दृष्टि से कालिंजर का यह ऐतिहासिक दुर्ग काफी महत्वपूर्ण रहा है। इतिहास में आज भी चंदेलकालीन राजाओं का यह किला भारत में सबसे विशाल और अपराजेय किलों में एक माना जाता है। किले के सात द्वार इसकी सामरिक महत्ता को बताते नजर आते हैं। किले के इतिहास पर नजर डालें तो यह किला प्राचीन काल में जेजाकभुक्ति...
मुंबई में बुंदेली प्रतिभा के झंडे गाढ़ रहे शिवा और ‘मास्साब’

मुंबई में बुंदेली प्रतिभा के झंडे गाढ़ रहे शिवा और ‘मास्साब’

Feature, Today's Top four News, समरनीति स्पेशल
समरनीति स्पेशलः    बुंदेलखंड के एक छोटे से गांव खुरहंड के रहने वाले शिवा सूर्यवंशी की लिखी कहानी और उनके अभिनय से भरी-पूरी फिल्म मास्साब रिजीलिंग से पहले ही सफलता के झंडे गाड़ रही है। फिल्म को अबतक कई अबार्ड मिल चुके हैं। इस फिल्म की प्रेरणा शिवा को बुंदेलखंड के सामाजिक परिवेश से ही मिली। इसके बाद उन्होंने फिल्म बनाने की ठानी और आखिरकार सफलता हासिल की। शिवा वर्तमान में मुम्बई में फिल्मों और रंगमंच में सक्रिय हैं। एक कलाकार के तौर पर मास्साब उनकी पहली हिन्दी फिल्म है। हालाँकि इससे पहले वह अंग्रेज़ी फिल्मों में हीरो की भूमिका निभा चुके हैं। शिवा सूर्यवंशी अभिनय के अलावा लेखन में भी रूचि रखते हैं और मास्साब उनकी खुद की लिखी कहानी है। हमने फिल्म के हीरो शिवा से बातचीत की। आइये समझते हैं पूरी कहानीः   बांदा और चित्रकूट के सुदूर ग्रामीण इलाकों में बनकर तैयार हुई है फिल्म मास...
सूनी आंखों में उजाले की लौ जलाता सीतापुर का आंख अस्पताल..

सूनी आंखों में उजाले की लौ जलाता सीतापुर का आंख अस्पताल..

Feature, समरनीति स्पेशल, सीतापुर
एशिया प्रसिद्ध सीतापुर आंख अस्पताल आज भी अंधता निवारण में मील का पत्थर साबित हो रहा है। अबतक लाखों लोगों को रोशनी देकर उनके जीवन में उजाला लाने वाला यह अस्पताल नेत्र रोग के मरीजों के लिए आज भी वरदान बना है। मरीजों के इलाज में आज विश्वस्तर के विशेषज्ञ भी इस अस्पताल के मुरीद हैं। दरअसल, यह अस्पताल डॉ. महेश प्रसाद मेहरे के प्रयासों की देन है। उन्होंने सन् 1926 में सीतापुर के खैराबाद में एक छोटी सी डिस्पेंसरी खोलकर मरीजों का इलाज शुरू किया था। उनके प्रयास यहीं नहीं थमें और उन्हीं के प्रयासों से 1939 को सीतापुर आंख अस्पताल जिला मुख्यालय पर स्थापित किया गया। यह डॉ. मेहरे के प्रयास से चिकित्सक व संसाधन बढ़ते गए। लाखों आंखों को रोशनी देने वाला सीतापुर आंख अस्पताल अंधता निवारण में वरदान   धीरे-धीरे ख्याति बढ़ती गयी और सीतापुर आंख अस्पताल एशियाभर में अपने अच्छे इलाज के लिए प्रसिद्ध हो गया। वर्...