मनोज सिंह शुमाली, ब्यूरो : दीपावली का पांच दिवसीय पावन त्यौहार बीत रहा है। आज गोबर्धन पूजा है तो कल भईया दूज। दीयों के इस पवित्र त्यौहार के अवसर पर बुंदेलखंड के बांदा में हर ओर रोशनी छाई है। वहीं दूसरी ओर यहां के नेताओं का हाल यह है कि इस शुभ अवसर पर जनता से दूरी सी बनाते नजर आए। जनता राह ताकती रही, लेकिन न विधायक मिले और न सांसद। ऐसा ही कुछ हाल मंत्री जी का भी रहा। यह हाल तब है जब बीजेपी पार्टी हाईकमान निकाय चुनावों को लेकर कमर कस चुका है। तैयारियों जोरों पर हैं।
सदर विधायक के शहर कार्यालय पर सन्नाटा
सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी के डीएम कालोनी रोड पर स्थित आवास एवं कार्यालय पर सन्नाटा जैसा पसरा रहा। यहां दीपावली पर चहल-पहल कई दिन पहले से दिखने लगती है। रौनक छाई रहती है।
भीड़ लगी रहती है, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं नजर आया। शहर की आम जनता को नेता जी के दर्शन तक नहीं हुए। आवास के दरवाजे भी रोज की अपेक्षा रात में जल्द ही बंद हो गए। कुछ लोगों को लौटते देखा गया।
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सदर विधायक प्रतिनिधि रजत सेठ ने इसकी वजह बताई। कहा कि ‘विधायक जी इस बार दिल्ली जाने और व्यस्तता के चलते बांदा शहर के आवास पर नहीं पहुंच सके। लेकिन वह अपने गांव के खुरहंड स्थित पैतृक आवास पर मौजूद रहे। जनता से मिले भी हैं।
बांदा के सांसद की दीपावली चित्रकूट तक ही सीमित
चित्रकूट-बांदा संसदीय क्षेत्र के सांसद आरके सिंह पटेल का मूल निवास चित्रकूट में है। बांदा की आम जनता ऐसा मानती है कि पटेल चित्रकूट के सांसद हैं। बांदा से उनका रिश्ता सिर्फ कार्यक्रमों तक सीमित है। हालांकि, दीपावली पर शहर के लोगों को उम्मीद थी कि सांसद आएंगे और लोगों से मिलेंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वजह जानने की कोशिश की गई। मगर सांसद श्री पटेल से संपर्क नहीं हो सका। पता चला कि बांदा में सांसद का कोई प्रतिनिधि ही नहीं है।
राज्यमंत्री भी नजर आए दूर-दूर, करीबियों ने बताई यह वजह
यूपी सरकार-02 में जलशक्ति विभाग के राज्यमंत्री रामकेश निषाद भी दीपावली पर जनता से दूर-दूर नजर आए। पार्टी कार्यकर्ता दिलीप गुप्ता ने बताया कि मंत्री जी के चचेरे भाई का कुछ दिन पहले निधन हो गया था। इसलिए गमी का माहौल रहा। मंत्री जी अपने इंदिरानगर स्थित आवास पर मौजूद रहे, लेकिन सादगीपूर्ण ढंग से मुलाकात की। हालांकि, धनतेरस पर राज्यमंत्री निषाद शहर में आम लोगों से हंसी-खुशी मिलते दिखाई दिए।
मोदी-योगी के नाम पर जीत, लेकिन जनता के दिलों में नहीं
दरअसल, बुंदेलखंड की यह विडंबना है कि यहां छोटे से छोटे नेता भी मोदी-योगी के नाम पर जीते जाते हैं, लेकिन जनता के दिलों में जगह नहीं बना पाते। इसकी बड़ी वजह आम लोगों के सुख-दुख में नेताओं का न पहुंचना भी है। ज्यादातर नेता ट्वीटर पर अफसोस जाहिर करके इतिश्री कर लेते हैं और जनता खुद को ठगा सा महसूस करती है। उम्मीद है और विश्वास भी, कि 2023 की दीपावली पर नेताओं से ऐसी गलती न हो। क्योंकि 2024 में लोकसभा चुनाव हैं और विधानसभा से लोकसभा में छलांग लगाने का मौका भी।
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