समरनीति न्यूज, बांदा : बांदा के एमएमबीएस छात्र नीरज गुप्ता के बाद अब शहर की एक MBBS छात्रा अलीशा और छात्र हेमेंद्र के यूक्रेन में फंसे होने की जानकारी सामने आ रही है। तीन दिन पहले बांदा के छावनी मोहल्ले के रहने वाले पंचायत सचिव रफीक मंसूरी की बेटी अलीशा की परिवार से बात हुई थी। यूक्रेन में फंसी अलीशा ने अपने परिवार से मोबाइल से कहा था कि किसी तरह उसको बचा लिया जाए। परिवार के कानों में बेटी के यही शब्द गूंज रहे हैं। बम धमाकों और सायरन की आवाजें उसे डरा रही हैं। इसके बात को करीब 36 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन परिवार का अलीशा से कोई संपर्क नहीं है। परिवार के लोगों की चिंता बढ़ी हुई है। उनको बेटी को लेकर फिक्र हो रही है।
कहा, बम धमाके और सायरन की आवाजें डरा रहीं
ऐसे में पिता रफीक और मां सलमा की चिंता बढ़ी हुई है। बताते हैं कि अलीशा यूक्रेन की राजधानी किवी में स्थित यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की छात्रा हैं। वहीं हास्टल में रहती भी हैं। फिलहाल, वह एक मेट्रो रेल के बंकर में अन्य लोगों के साथ शरण लिए हुए हैं।
उधर, बांदा शहर के सेढ़ू तलैया मुहल्ले में रहने वाले रिटायर्ड प्राचार्य चुन्ना सिंह के बेटे हेमेंद्र सिंह भी यूक्रेन में फंसे हैं। 2019 में वह एमबीबीएस की पढ़ाई करने यूक्रेन गए थे। अब उनका एमबीबीएस का तीसरा वर्ष है।
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परिवार का कहना है कि शनिवार को हेमेंद्र ने अपने परिवार से मोबाइल पर बात की। परिजनों को बताया कि पिता और मां शकुंतला से उन्होंने बात की। बताया कि वह अन्य लोगों के साथ मेट्रो टनल में शरण लिए हुए हैं। उन्होंने बताया कि यूक्रेन के दुकानदार भारतीयों को सामान भी नहीं दे रहे हैं। हालात बहुत ही खराब हैं। चारों ओर धमाके हो रहे हैं। इन परिजनों ने केंद्र सरकार से भावुक अपील की है। परिजनों ने कहा है कि सरकार ही अब उनके बच्चों को वापस ला सकती है। उनकी सरकार से अपील है कि जल्द से जल्द बच्चों को वापस लाने की व्यवस्था की जाए।
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