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दहशत में सीतापुरः आदमखोर कुत्तों के आगे बेबस प्रशासन

अब तक 14 मासूमों को काटकर ले चुके जान, दर्जनों घायल 

लाठी-डंडे लेकर आदमखोर कुत्तों को मारने के लिए कांबिंग करते ग्रामीण।

समरनीति संवाददाताः सीतापुर के खैराबाद क्षेत्र में आदमखोर कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। यह आदमखोर कुत्ते अब तक 14 बच्चों की जान ले चुके हैं जबकि दर्जनों बच्चों को घायल कर चुके हैं। इनका आतंक खैराबाद क्षेत्र के गुरलिया, बद्रीखेरा, बाराभारी, महेशपुर, लवारा,टिकरिया, कोलिया, कोलिया पहाड़पुर इलाकों में अधिक है। इसके अलावा खैराबाद से सटे तालगांव, मानपुर, मछरेहटा, शहर कोतवाली क्षेत्र के गांवों में भी घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। जिला प्रशासन द्वारा गठित वन विभाग, पुलिस, लेखपालों, नगर पालिका की संयुक्त टीमें भी इन पर अंकुश लगाने में नाकाम रही हैं। मथुरा, बरेली, लखनऊ से आई डाक कैचर टीम भी प्रभावी कार्रवाई करने में नाकाम रही। कार्रवाई व कांबिंग के नाम पर घरेलू कुत्ते ही पकड़े जा सके हैं। जिनको कान्हा उपवन लखनऊ भेजकर नसबंदी कराई गई है। प्रशासन द्वारा 165 अधिकारियों की टीमें लगातार पर्यवेक्षण कर रही हैं।

पिंजड़े में पकड़कर आदमखोर कुत्तों को ले जाते नगर निगमकर्मी। 

लेकिन कुत्तों के हमले लगातार जारी हैं। प्रतिदिन इनके हमले जारी हैं। घटनाओं की गंभीरता इसी से परखी जा सकती है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पीड़ितों का हाल जानने गांव पहुंचे लेकिन प्रशासन कुत्तों पर असरदार कार्रवाई करने में अब तक विफल रहा है।मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को दो लाख व घायलों को पच्चीस हजार रुपये की आर्थिक सहायता देकर मरहम लगाने  कोशिश की हैलेकिन यह घटनाएं ग्रामीणों में दहशत कायम किए हैं। लोगों के दैनिक कार्य प्रभावित हैं। वहीं खेती किसानी भी प्रभावित है। लोग बच्चों को स्कूल भेजने से बच रहे हैं। स्कूल खुलते हैं लेकिन बच्चों के अभाव में पढ़ाई ठप है। लोग बच्चों को घर से बाहर नहीं भेज रहे हैं।

अफसर बोले, मामले को लेकर गंभीर और सक्रिय 

एडीएम विनय पाठक बताते हैं कि अधिकारियों की संयुक्त टीमें लगातार कांबिंग कर लोगों को जागरूक भी कर रही हैं। बच्चों को गांव से बाहर जाने से रोकने के लिए लोगों को कहा गया है। पुलिस, लेखपालों, वन विभाग की टीमें लगातार प्रभावित क्षेत्र में सक्रिय हैं। प्रशासन पूरी तरह से पीड़ितों के साथ है। हमलावर कुत्ते स्थान भी बदल रहे हैं। ऐसे में आदमखोर कुत्तों की पहचान करने में दिक्कतें हो रही हैं। पाठक का कहना है कि कुत्तों को पकड़ने वाले विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है। शीघ्र ही प्रशासन इस समस्या पर काबू पा लेगा।

अबतक 14 मासूमों की जान ले चुके और 200 से ज्यादा को किया घायल 

– नवंबर 2017 : सरैयां मलुही गांव के महेश की 11 वर्षीय पुत्री हिमांशी को कुत्तों ने नोच-नोचकर मार डाला।
– जनवरी 2018 : गोविंदासराय गांव के कैलाश की 11 वर्षीय बेटी सोनम की कुत्तों के हमले में मौत हो गई। वह शौच जा रही थी।
– 21 जनवरी : गुरपलिया गांव के मोबीन का 12 वर्षीय रहीम शौच गया था। कुत्तों ने हमला कर दिया। इसमें रहीम की मौत हो गई।
– 10 फरवरी : खुरेहटा गांव के सिद्धनाथ की सात वर्षीय बेटी शगुना शौच के लिए गई थी। आदमखोर कुत्तों के हमले में शगुना की मौत हो गई।
– 16 मार्च : बद्रीखेड़ा गांव के माशूक 10 वर्षीय बेटे अरबाज को आदमखोर कुत्तों ने नोंच-नोंचकर मार डाला।
– 22 मार्च : नेवादा गांव के रसीद की 11 वर्षीय बेटी सानिया शौच के लिए गई थी। इसी दौरान आदमखोर कुत्तों के हमले में उसने दम तोड़ दिया।
– 1 मई : टिकरिया में शामली (11), गुरपलिया में खालिद (12) व कोलिया में कोमल (10) को कुत्तों ने नोच-नोचकर मार डाला।
– 4 मई : खैराबाद के मासूमपुर गांव में गीता (7) पुत्री सुशील गुप्त व कोतवाली के बुढ़ानापुर गांव में वीरेंद्र (10) को कुत्तों ने मार डाला।
– 5 मई : तालगांव कोतवाली इलाके के भगौतीपुर गांव में कासिम (10) पुत्र जाबिर अली को कुत्तों ने निवाला बना डाला।
– 13 मई : खैराबाद थाना क्षेत्र के महेशपुर चिलवारा गांव में रीना (10) पुत्री छंगा पर आदमखोर कुत्तों का हमला। 
– 18 मई : मानपुर क्षेत्र के ग्राम खैरमपुर निवासी छोटेलाल की पुत्री सोनम (10) पर कुत्तों के झुंड ने हमला बोल दिया था। अस्पताल में सोनम की मौत।

आदमीखोर कुत्ते को रस्सी से बांधकर काबू में करते नगरनिगम के कर्मचारी। 

मासूम और कमजोर हैं कुत्तों के निशाने पर 

जिला पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरपी यादव कहते हैं कि आमतौर पर कुत्तों का एक दायरा होता है। वह उसी के आसपास रहकर अपनी गतिविधियां करते हैं। लेकिन खैराबाद में आदमखोर कुत्तों के हमले उनके स्वभाव से अलग
हैं। यह हमले उनके स्वभाव में आई विकृति को दर्शा रहे हैं। कुत्ते आम तौर पर अपने से कमजोर को निशाना बनाते हैं, लेकिन यह कमजोर मासूम बच्चे भी हो सकते हैं, इसका किसी को अंदाजा नहीं था। कुत्तों के स्वभाव में हुए परिवर्तन के कारणों का पता लगाने के लिए पांच पशु चिकित्सा अधिकारियों की कमेटी बनाई है। यह कमेटी खैराबाद क्षेत्र में पूर्व में लगने वाली मांस मंडियों के अलावा प्रभावित गांवों का भ्रमण कर हादसे में घायल बच्चों व लोगों से वार्ता कर कारणों की पड़ताल करती हुई रिपोर्ट तैयार की जाएगी। कहा कि कोई लापरवाही नहीं बरती जा रही है। 

दहशत के चलते घरों में कैद बच्चे, मा-बाप डर से नहीं दे रहे निकलने 

टिकरिया, गुरपलिया और कोलिया पहाड़पुर गांवों में आदमखोर कुत्तों की दहशत इतनी है कि  क्का-दुक्का लोगों के अलावा सभी ग्रामीण अपने घरों में कैद हैं। यहां तक कि बच्चों को स्कूल जाने से भी रोक दिया गया है। गांव की दुकानें भी बंद पड़ी हुई हैं जो लोग बाहर निकल भी रहे हैं वे लाठी-डंडों लेकर चलते हैं। लोग पांच-छह का समूह बनाकर ही चल रहे हैं ताकि अगर कुत्तों का झुंड सामने आ जाए तो उनसे मोर्चा ले सकें। कुत्तों को मारने के अभियान में अड़चनें भी आदमखोर कुत्तों पर लगाम लगाने के लिए प्रशासन ठोस कार्रवाई करे। आदमखोर कुत्तों को चिन्हित कर खत्म करने का अभियान तेजी और ज्यादा कारगर ढंग से चलाया जाए। इसमें अड़चन भी हैं। यहां जीव प्रेमी संगठन मारने का विरोध कर रहे हैं। लखनऊ ऐनीमल वेलफेयर फोरम ने शनिवार को लखनऊ में रैली निकाली और सीतापुर में कुत्तों को मारने पर पाबंदी लगाने की मांग की।