आशा सिंह, लखनऊ : यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार उत्तर प्रदेश के खास प्रसिद्ध उत्पादों को देश-दुनिया में पहचान दिलाने की दिशा में खास काम कर रही है। इसी के तहत सरकार अब राज्य के ज्यादातर मशहूर खाद्य उत्पादों को एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) जैसी महत्वाकांक्षी योजना के जरिए प्रदेश की खाने वाली प्रसिद्ध चीजों को जीआई टैग से विशिष्ट पहचान दिला रही है। सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना आने वाले दिनों में इन उत्पादों को एक नई पहचान दिलाएगी।
इन उत्पादों को मिलने वाली है विशिष्ट पहचान
इन उत्पादों में लखनऊ की रेवड़ी, आगरा का पेठा, मथुरा का पेड़ा, संडीला के लड्डू, मैगलगंज के रसगुल्ले, अलीगढ़ की चमचम मिठाई, प्रतापगढ़ी मुरब्बा, फतेहपुर सीकरी की नान खटाई, कानपुर के सत्तू-बुकनू जैसे 50 उत्पाद शामिल हैं।
जौनपुर की इमरती, मुजफ्फरनगर का गुड़ भी
इसके साथ ही चौसा, बनारसी लंगड़ा, गौरजीत आम, बनारसी पान, ठंडई, तिरंगी बर्फी, लालपेड़ा, लालभरवा मिर्च, जौनपुर की इमरती, प्रतापगढ़ का आंवला, चिरईगांव के करौंदा, मुजफ्फरनगर के गुड़ जैसे 15 कृषि एवं प्रसंस्कृत उत्पादों को भी जीआई टैग के लिए शुरूआत हो चुकी है। बताते हैं कि इसमें पंजीयन की प्रक्रिया अंतिम दौर में है
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किसी भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित कृषि तथा अन्य उत्पाद के अनाधिकृत प्रयोग पर अंकुश लगाने के लिए उसे कानूनी संरक्षण देने की की प्रक्रिया का हिस्सा जीआई टैग है। जीआई टैग यानी यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग। देश के करीब 420 उत्पाद जीआई टैग के तहत पंजीकृत हैं। जानकारों का कहना है कि इनमें यूपी के सिर्फ 36 उत्पाद हैं। इन उत्पादों में 6 ही कृषि उत्पाद हैं। इन 6 कृषि उत्पादों में इलाहाबादी सुर्खा अमरूद, गोरखपुर मंडल का काला चावल, मलिहाबादी दशहरी आम, पश्चिमी यूपी का बासमती चावल, बागपत का रटौल आम और बुंदेलखंड के महोबा का देशावरी पान शामिल हैं।
इससे बढ़ेगा निर्यात-उत्पादकों की आमदनी
बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में जीआई टैग असल में एक ट्रेडमार्क के रूप में पहचाना जाता है। इसलिए इससे विदेशी बाजार में निर्यात को जबरदस्त बढ़ावा मिलता है। ऐसा होने से स्थानीय किसानों-कारोबारियों की आमदनी कई गुना बढ़ जाती है। इसी लिए सरकार यह कदम उठाने जा रही है। राजधानी लखनऊ में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के स्तर पर एक उच्चस्तरीय बैठक हुई है। इसमें खास उत्पादों की जीआई टैगिंग का फैसला लिया गया है।
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