मनोज सिंह शुमाली, बांदा : बुंदेलखंड के बांदा में बालू का अवैध खनन एक बार फिर चर्चा में है। इसकी वजह खनन में स्थानीय बड़े नेताओं की एंट्री है। बांदा खनन और सत्ता का गर्भ नाल का रिश्ता कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। सपा सरकार को भर मन कोसने वाले नेता बीजेपी के सत्ता में आने के बाद खनन के धंधे को वैसे ही चला रहे हैं, जैसे पहले चलता रहा है।
अधिकारियों की कार्रवाई पर खुद को बना रहे हीरो
बांदा में बड़े नेता अपने गुर्गों की आड़ में खनन में वारा-न्यारा करने में जुटे हैं। अभी बांदा की मरौली खदान में जिला प्रशासन के एक्शन का श्रेय भी कुछ नेता खुद लूटते से नजर आए। अवैध खनन की खबरों के बाद प्रशासन ने सख्त एक्शन लिया। कार्रवाई होते ही कुछ नेताओं ने इसे ऐसे प्रचारित कराया, जैसे उनके कहने पर कार्रवाई हुई हो।
गुर्गों को आगे कर आड़ में करोड़ों का वारा-न्यारा
आप समझ सकते हैं कि जब बड़े नेता इस स्तर की लोकप्रियता के लिए लालायित हों, तो हालात क्या होंगे। दरअसल, अवैध खनन को लेकर नेताओं की एंट्री के ऐसे हालात पिछली सरकारों में देखने को मिलते थे। अब मौजूदा हालात में नेताओं की यह स्थिति सचमुच अचंभित करने वाली है। इन नेताओं की इस कार्यशैली से सरकारी की छवि को भी चोट पहुंच रही है। इनमें ज्यादातर ऐसे हैं जिनको जनता का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। इसके बावजूद बालू मोह में पड़े हैं।
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