समरनीति न्यूज, बांदा : कनवारा खदान पर प्रशासन की सख्ती बेअसर साबित हो रही है। खंड-5 पर अवैध खनन लगातार जारी है। सीमांकन रेखा से बाहर मशीनों से बालू निकाली जा रही है। इसके बावजूद खनिज विभाग रोस्टर से कार्रवाई की बात कर रहा है। ऐसे में साफ है कि कोई राजनीतिक संरक्षण कनवारा खदान पर चल रहे अवैध खनन को बचा रहा है। सवाल है कि आखिर कनवारा खदान को किसका राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। उधर, इस मामले में खनिज अधिकारी अर्जुन कुमार से भी बात की गई।
प्रशासन की छापेमारी के बाद बढ़ी अवैध खनन की रफ्तार
बताते चलें कि कुछ दिन पहले बांदा की कनवारा खदान पर प्रशासन ने छापा मारा था। छापेमारी में वहां निर्धारित सीमा रेखा के बाहर अवैध खनन होता पकड़ा गया था। प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए खदान संचालक योगेश सिंह कुशवाहा निवासी ग्वालियर (एमपी) के खिलाफ 17,08,200 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था।
अवैध खनन : बांदा में कनवारा-मरौली खदानों पर छापे, लाखों का जुर्माना
माना जा रहा था कि इससे अवैध खनन बंद हो जाएगा। मगर हुआ इसके बिल्कुल उलटा। जानकारों का कहना है कि कनवारा खदान में अवैध खनन और तेज हो गया है। रात-दिन मशीनों से अवैध खनन किया जा रहा है।
खदान से जुड़े सूत्र ने कही यह बात
खदान से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि जुर्माना की भरपाई पूरी करने के लिए खदान संचालकों ने अवैध खनन की रफ्तार बढ़ा दी है। दरअसल, संचालकों का यह दुस्साहस राजनीतिक संरक्षण के कारण है। बताते हैं कि कनवारा खदान को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। इसलिए ऐसा किया जा रहा है।
खनिज अधिकारी ने कही यह बात
उधर, खनिज अधिकारी अर्जुन कुमार ने कहा कि ऐसी कोई जानकारी नहीं है। कनवारा खदान पर अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। इसके बाद अवैध खनन की रफ्तार बढ़ने की
जानकारी से उन्होंने इंकार किया। कहा कि अगर ऐसा है तो जांच कराकर कार्रवाई जाएगी। साथ ही यह भी कहा कि डीएम के निर्देशों पर एक रोस्टर के तहत छापेमारी करते अवैध खनन की जांच की जाती है।
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