मनोज सिंह शुमाली, बांदाः एनआरसी और सीएए के विरोध में भड़की हिंसा के दौर में चित्रकूटधाम मंडल में शांतिपूर्ण व्यवस्था बनाए रखने को लेकर चर्चा में आए पुलिस उप महानिरीक्षक दीपक कुमार एक बार फिर शानदार परफार्मेंस के लिए सराहे गए हैं। इस बार आम जनमानस की समस्याओं को लेकर योगी आदित्यनाथ की सरकार की जनसुनवाई के मूल्यांकन में डीआईजी दीपक कुमार के निर्देशन में पूरे चित्रकूटधाम मंडल की पुलिस ने एक नहीं बल्कि 10 बार पहला स्थान प्राप्त किया है। मंडल के दूसरे जिलों की पुलिस भी डीआईजी की मॅानिटरिंग के चलते अव्वल रही।
सीएम स्तर पर हुई जनसुनवाई के मूल्यांकन में यूपी में प्रथम
शिकायतों के निस्तारण में पूरे मंडल की पुलिस टॅाप पर रही। इसकी असल वजह डीआईजी दीपक द्वारा द्वारा आन लाइन उच्चाधिकारियों द्वारा मिलने वाली शिकायतों के निस्तारण की प्रगति रिपोर्ट की खुद समय-समय पर समीक्षा करना है। ऐसे में जिलों की पुलिस शिकायतों के निस्तारण में तेजी से जुटी रही। इससे जनता को सीधा फायदा हुआ। पुलिस ने उनकी समस्या सुनी ही नहीं, बल्कि उसका निपटारा भी किया।
जनसुनवाई मूल्यांकन में एक नहीं 10 बार मंडल ने किया टॅाप
यही वजह है कि मंडल को एक या दो नहीं, बल्कि पूरे 10 बार प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। दरअसल, ये शिकायतें मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा संचालित जनसुनवाई (आईजीआरएस) के माध्यम से मिलती हैं और हर महीने प्रदेशभर की पुलिस रेंज और जोन का खुद मुख्यमंत्री द्वारा निस्तारण को लेकर मूल्यांकन किया गया।
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इस मूल्यांकन के बाद प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान दिया जाता है। इसी मूल्यांकन रिपोर्ट में चित्रकूटधाम मंडल (बांदा) को दिसंबर-2019 में भी प्रथम स्थान मिला है। इस तरह से वर्ष 2019 में 10 बार मंडल को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। डीआईजी दीपक द्वारा इस कार्य के लिए अपने कार्यालय की कंप्यूटर टीम के आपरेटर धरमवीर सिंह, आरक्षी शर्मित कुमार और महिला आरक्षी प्रिया तिवारी के कार्यों की भी प्रशंसा की गई।
मंडल के चारों जिलों में गिरा आपराधिक वारदातों का ग्राफ गिरा
डीआईजी दीपक की सख्त और सतर्क कार्यप्रणाली के चलते बीते कुछ महीनों के भीतर पूरे मंडल के चारों जिलों में अपराधों का ग्राफ भी काफी नीचे आ गिरा है। बांदा, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट के अपराधों के ग्राफ पर नजर डालें तो वर्ष 2018 की अपेक्षा 2019 में अपराधों में बड़ी गिरावट आई है। पुलिस रिकार्ड्स के अनुसार वर्ष 2018 में डकैती की 5 वारदातें हुईं तो 2019 में सिर्फ 2 वारदातें हुईं।
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इसी तरह लूट की 2018 में 35 वारदातें थीं तो 2019 में 28 हुईं। इसी क्रम में हत्या की 2018 में 118 वारदातें दर्ज हुईं तो 2019 में 94 हत्या की वारदातें दर्ज हुईं। 2018 में अपहरण की 448 वारदातें थीं तो 2019 में 203 अपहरण की वारदातें हुईं। 2018 में दुष्कर्म की 152 वारदातों की अपेक्षा 2019 में 83 वारदातें हुईं। इसी के साथ बांदा, हमीरपुर, महोबा एवं चित्रकूट जिलों को भी दो माह के दौरान इस मूल्यांकन रिपोर्ट में 90 में 90 अंक मिले। संयुक्त रूप से सभी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
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